शनिवार, 31 दिसंबर 2016

उड़ने को तैयार चिड़कली - कहानी-...



-  करणीदानसिंह राजपूत  -

चिड़कली उडऩे को तैयार।
वह इठला रही थी।
वह मुस्कुरा रही थी।
चिड़कले और चिड़कली की आंखें मिली हुई।
चिड़कला भी इठला रहा था।
वह भी मुस्कुरा रहा था।
उसकी आंखें चिड़कली की आंखों से घुसी थी।


चिड़कली और चिड़कले दोनों अपनों में ही मस्त थे।
उनको आसपास के वातावरण पर ध्यान नहीं था।
दोनों के बीच की दूरी तीन चार फुट।
बातचीत करते हुए वह दूरी कभी दो तो कभी एक फुट रह जाती।
चिड़कली और चिड़कला दोनों अपने में मस्त।
एक मकान के पीछे चिड़कली और चिड़कले का यह संवाद चल रहा।
मकान का पिछवाड़ा और रेलवे कॉलोनी के मकानों का भी पिडछवाड़ा।
पीपल के कई पेड़ और उनके आस-पास कंटीली झाडिय़ां।  
पसरी हुई कई प्रकार की बेलें। 
पिछवाड़े न कोई जाता न कोई आता। भूले चूके कोई खिड़की दरवाजे तक नहीं खोलता। 
वहां हरियाली झाडिय़ों पेड़ों के बीच ही चिड़कली और चिड़कला आमने सामने हंसते मुस्कुराते चहचहा रहे थे। 
चिड़कले ने कहा एक तारीख याद रखना। 
चिड़कली सुन कर हंसी मुस्कुराई। 
उसके दांत दूर तक दिखाई दे रहे थे।
दोनों ने बिछुडऩे से पहले चिड़कले ने फिर कहा एक तारीख याद रखना।
चिड़कली मुस्कुराई। 
चिड़कली की मुस्कुराहट से ऐसा लग रहा था की वह चिड़कले को अपनी स्वीकृति देते हुए हंस रही है।
चिड़कली जाने के लिए मुड़ी ही थी कि चिड़कले ने एक बार फिर कुछ ऊंची सी आवाज में कहा एक तारीख ध्यान रखना।
चिड़कली और चिड़कला दोनों मुस्कुराते हुए अपने अपने रास्तों की ओर निकल गए। 
चिड़कली और चिड़कले दोनों इस मोहल्ले के तो नहीं थे।
उन्होंने यह हरियाला स्थान बातचीत के लिए सुरक्षित समझा होगा।
चिड़कले और चिड़कली का यह प्रेम भरा संवाद हवा के साथ एक मकान की छत पर पहुंच गया। 
चिड़कले और चिड़कली दोनों ने मकान की छत पर खड़े एक पुरुष को देखा। 
पुरूष एक पल उनकी ओर देखता और अपना मुंह घुमा लेता। 
पुरूष देखता और अपना मुंह घुमा लेता।
दोनों ने उस पुरूष की ओर ताका मगर कोई परवाह नहीं की। 
चिड़कली और चिड़कला दोनों हंसते रहे मुस्कुराते रहे।  
वे आपस में 15-20 मिनट तक क्या क्या बतियाते रहे?
यह तो सुनाई नहीं पड़ा लेकिन चिड़कले ने जो कहा एक तारीख ध्यान में रखना, वह जितनी बार बोला उतनी ही बार उस पुरूष को सुनाई पड़ गया। चिड़कले और चिड़कली दोनों ने छत पर खड़े पुरुष को देखा मगर उसकी उपस्थिति को निर्जीव समझा। 
वे दोनों बतियाते रहे और बतियाते हुए ही चले गए।
निर्जीव पुरूष ने खूब दिमाग लगाया। 
कहां की हो सकती चिड़कली है? 
किसकी हो सकती है चिड़कली?
चिड़कली कहीं देखी हो? नहीं दिमाग सुन्न सा होने लगा।
उसके परिवार को सूचना दें मगर खूब दिमाग खपाने के बाद भी उसको चिड़कली के पिता का मालूम नहीं पड़ सका। 
आखिर वह सूचना दे तो किसको दे कि तेरी चिड़कली तेरी लाडली एक तारीख को उड़ जाएगी। 
वह उड़ जाएगी चिड़कले के संग।
वह निर्जीव पुरुष सोचता रहा सोचता रहा। 
उसकी सोच सफलता की ओर नहीं बढ़ पाई। 
उसके दिमाग में चिड़कला घुसता फिर चिड़कली घुसती।
चिड़कली और चिड़कला। 
चिड़कली।
चिड़कला।
चिड़कली।
चिड़कला।
ये दो शब्द ही उसके मस्तिष्क में घूमते रहे।
निर्जीव पुरुष की बेचैनी बढ़ती चली गई।
किसी भी तरह से चिड़कली के घर सूचना दी जाए। 
चुपचाप सब किया जाए कि किसी को भी मालूम न पड़े। बस केवल चिड़कली के घर पर ही फुसफुसाया जाए।
उसके पिता को उसकी मां को बताया जाए। कम से कम इशारा कर दिया जाए कि तेरी चिड़कली का तुम्हारे से मोह भंग हो गया है और वह अपनी प्रीत किसी चिड़कले से लगा चुकी है।
तुम्हारी चिड़कली उसके मोहब्बत के फंदे में बंध गई है। 
वह रीझ गई है एक चिड़कले के प्यार में।
तुम्हारी लाडली।
तुम्हारी प्यारी चिड़कली को लेकर वह उड़ान भरने वाला है। 
चिड़कला जिस तरह से चिड़कली को बार-बार एक तारीख याद करा रहता, एक तारीख पर जोर डाल रहा था। 
उससे लगता तो यही था कि चिड़कले ने ही अपने जाल में चिड़कली को फुसलाया है।
चिड़कला उसे अपने साथ उड़ा ले जाएगा।
आगे क्या होगा?
आगे का एक-एक दिन।
एक एक रात ।
एक घंटा भी बहुत बड़ा होगा।
चिड़कले जब किसी चिड़कली को मोहपाश में बांधकर उड़ा ले जाते हैं, तब सबसे पहले वह काम करते हैं की चिड़कली वापस घर जाने के लिए सोच भी न पाए।
वह लौट जाने के लिए कह नहीं पाए।
समाज से परिवार वालों से मन ही मन भयभीत हो जाए कि उसने अपनी ओढऩी चुन्नी तो उतार दी।
चाहे उसकी इच्छा रही हो या नहीं रही हो मगर चिड़कले के चुन्नी उतारते हुए ओढऩी उतारते हुए हाथों को वह रोक नहीं पाई।
चिड़कले का विरोध वह कैसे कर पाती क्योंकि वह तो खुद उसके साथ उड़ कर आ गई थी?
अब वह वापस अपने मां-बाप के घोंसले में कैसे जाए?
ऊपर से समाज का भय लौटने नहीं दे। 
उसकी चुन्नी कहां है? सवालों पर सवाल।
चिड़कली और चिड़कले का प्यार कब तक?
कितनी घटनाएं जब चिड़कले को चिड़कली खारी लगने लगे।  
मिश्री सरीखी चिड़कली खारी लगने में भी देरी नहीं और दिन रात ताने। चिड़कले के घर वाले भी कहने में कहां पीछे रहते हैं। उसे कह डालते हैं तूं तो भाग कर आई है? अपने माँ बाप को दगा देकर आई है? तूं कहां की भली है? जब किसी को तंग करना हो तो हजार बहाने।
लाया तो चिड़कला था। वह भी अपने माँ बाप को ठुकरा कर ही ले गया। चिढ़कले के माँ बाप क्यों करें प्यार?
रोजाना ही छपने वाली घटनाएं।
चिड़कली को दुत्कारने मारने पीटने की घटनाएं। 
निर्जीव पुरुष पिछली घटनाओं को सोचता रहा।
कब कब चिड़कलियों के साथ चिड़कलों ने क्या-क्या किया?
उसके अपने शहर में और दूरदराज के शहरों में भी चिड़कलियों की ओढनी उतारने में चिड़कलों ने कोई गरिमा नहीं रखी। 
गरिमा होती तो वे चिड़कलियों को उड़ा कर क्यों ले जाते?
पूरे देश में कितनी चिड़कलियां कब कब पंख नोची हुई हालत में मिलती हैं? 
निर्जीव पुरुष कि नींद गायब थी।
वह अपना सिर पीट रहा था? 
चिड़कली के माता पिता को कैसे सूचना दे?
उसके दिमाग में बार बार  एक तारीख गूंज रही थी। 
जब चिड़कली अपने मां बाप को छोड़कर उनके प्यार को छोड़कर उड़ जाएगी।

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