मंगलवार, 9 अप्रैल 2024

सच्च बोलने लिखने का आनन्द खुशी हर्ष- कविता- करणीदानसिंह राजपूत:

तिरंगे के नीचे 
खड़े होकर
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के सानिध्य में 
 मैं करणीदानसिंंह राजपूत एवं
 पत्नी श्रीमती विनीता सूर्यवंशी।
सोच व संकल्प को दोहराने का स्थान-

 दिल्ली पालिका बाजार के पास पार्क में
 लगे विशाल तिरंगे के पास में।
समय
शाम 4-14, 5 नवम्बर 2016.
पुराने संकल्प व सोच को
दोहराया मन ही मन
सच्च के साथ रहने का
प्रयास करें।


सच्च लिखने बोलने के
प्रयास में गुजर गए
कई वर्ष आनन्ददायी
संघर्ष और अनुभव के।


ऐसा आनन्द
जो कम नहीं होता,
ऐसा आनन्द जो
खत्म नहीं होता।
असीम आनन्द की
खुशी और हर्ष
में डूबा

चलाता रहा
कलम कम्प्यूटर
निरंतर अब तक।


और आगे भी चलेंं

चलते रहेंं
यह सोच व विश्वास से
मन में मगन

और भी पक्का
बनता गया।
::::: 
करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़।
संपर्क 94143 81356.
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प्रथम- 14 नवंबर 2016.
अपडेट 9 अप्रैल 2024.


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