रविवार, 29 मई 2016

क्या कांग्रेस गैरगांधीवादी थर्मल रेलमार्ग,पानी स्टोरेज बंद करने में साथ देगी?



गंगाजल मील,पृथ्वीराज मील व कांग्रेस पार्टी गैर गांधीवादी वाले इन कदमों में साथ है या नहीं है?
क्या भाषण देने वाले स्थानीय बड़े नेता व दल खुद पहली पंक्ति में होंगे और इसकी सूची पहले तैयार कर जारी करेंगे?
थर्मल का रेलमार्ग और पानी स्टोरेज बंद करने की चेतावनी
- करणीदानसिंह राजपूत -


सूरतगढ़। ऐटा सिंगरासर माइनर के लिए चल रहे आँदोलन में 12 जून को दो कदम उठाए जाने की चेतावनी दी हुई है। सूरतगढ़ सुपर पावर थर्मल स्टेशन को कोयला पहुंचाने वाली रेल लाइन जाम करने और इंदिरागांधी नहर से थर्मल के पानी स्टोरों में पानी की पहुंच को रोकने के कदम शांति वाले और गांधीवादी तरीके वाले नहीं हैं। इन दोनों ही कदमों में कुछ भी घटित हो जाने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। संघर्ष समिति और ठुकराना में चल रहे पड़ाव के छप रहे रोजाना के समाचारों में आरपार की लड़ाई के बयानों से लगता है कि यह जबरदस्ती करने वाले तरीके किसी भी रूप में अहिंसात्मक नहीं हैं।
सबसे पहले कांग्रेसी नेताओं पूर्व विधायक गंगाजल मील और पृथ्वीराज मील और पार्टी से ही सवाल है कि उन्होंने इस आँदोलन को गांधीवादी तरीके से चलाने की और शामिल होने की घोषणा की हुई है। ये इस गैर गांधीवादी तरीकों वाले कदमों पर साथ रहेंगे या नहीं? क्योंकि जो घोषणाएं नेताओं की तरफ से या समिति की ओर से हो रही है उनकी बैठकों में कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता शामिल रहे हैं। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के रेलवे टे्रक के नीरीक्षण करते हुओं के फोटो भी छपे हैं। इसके अलावा जो घोषणाएं इन कदमों बाबत हो रही है उसमें मानव शक्ति में कांग्रेसी नेताओं कार्यकर्ताओं व पार्टी को शामिल मान कर किया जा रहा है। कदमों के उठाए जाने के बाद कांग्रेसी नेता कुछ बोलें या अपना रूख गांधवादी होना बतलाएं इसलिए यह जरूरी है कि अभी पहले ही यह बतला दिया जाना चाहिए।
ये दोनों जबरदस्ती वाले कदम बिना मानव शक्ति के संभव नहीं हैं और होता यह आया है कि आँदोलनों में जब भी फंसते हैं तो कार्यकर्ता या साधारण लोग फंसते हैं। इस आँदोलन में यह स्थिति भी साफ होनी चाहिए कि भाषण देने वाले नेता पहली पंक्ति में रहेंगे और इसके लिए पहली दूसरी तीसरी पंक्तियों की सूचियां भी पहले ही तैयार करके घोषित कर दी जानी चाहिए। कौन कौन से नेता पहली पंक्ति में रहेंगे?
नेताओं व राजनैतिक दलों के बारे में एक हालत और स्पष्ट करने की है कि जब आँदोलन के लिए गैर राजनैतिक रूप से टिब्बा क्षेत्र संघर्ष समिति बनी हुई है और उसी की ओर से मांगपत्र भी भिजवाया हुआ है तब दलों के नेता अपनले अलग अलग बयान जारी कर रहे हैं। अलग अलग प्रेस विज्ञप्तियां व पत्रकार वार्ताएं तक की जा रही है।
एक स्थिति और स्पष्ट करनी की है कि अगर किसी किसान या साधारण व्यक्ति पर किसी प्रकार का मुकद्दमा बन जाता है तो वह मुकद्दमा किसकी ओर से लड़ा जाएगा? उसमें खर्च होने वाली रकम कौन वहन करेगा? महिलाओं पर मुकद्दमें बन जाते हैं तो उनको लडऩे के लिए क्या कदम उठराए जाऐंगे? ये सवाल इसलिए पैदा हो रहे हैं कि इस आँदोलन में जुड़े नेताओं व पार्टियों के कार्यकर्ताओं में अनेक वकील हैं लेकिन अभी तक कोई मुकदद्में लडऩे वाली समिति आदि घोषित नहीं हुई है। मुकद्में होने की स्थिति में कौन राय देगा और मुकद्दमा लड़ेगा?
अभी तक सरकार यानि कि शासन प्रशासन की और से केवल सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के कदम ही उठाए गए हैं लेकिन उनकी ओर से पकड़ाधकड़ी के कदम भी उठाए जा सकते हैं।
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