तुम्हें देखेंगे तुम्हारी तस्वीर से
तुमसे बोलेंगे तुम्हारी तस्वीर से
तुमसे मिलेंगे तुम्हारी तस्वीर से।
तुम्हारी तस्वीर में खूबी है
मेरे हां कहने से हां कहेगी
मेरे ना कहने से ना।
तस्वीर का न दिन होगा न रात
हर दम हर समय होगी मेरे साथ
वह हंसेगी मुस्कुराएगी मेरे संग ।
मेरे लब मिलेंगे तस्वीर के लबों से
समय की कोई सीमा नहीं होगी
मेरे चाहने तक चिपटी रहेगी।
मेरे तुम्हारे मिलन पर पहरे संभव
तस्वीर से मिलन पर होंगे असंभव
अच्छा है जल्दी से तस्वीर भेज दो।
तुम्हारी तस्वीर मेरे सामने होगी
मेरी तस्वीर तुम्हारे सामने होगी
आगे तुम्हारी मेरी सोच होगी।
तस्वीरों के जरिए प्रेम कहानी
धीमे धीमे आगे बढेगी
यह तुम जानोगी मैं जानूंगा।
- करणीदानसिंह राजपूत,
विजयश्री करणी भवन,
सूर्यवंशी विद्यालय के पास,
मिनि मार्केट,सूर्याेदयनगरी,
सूरतगढ़।
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