सोमवार, 24 अगस्त 2015

सूरतगढ़ भूखंड घोटाला आरोपियों के बयान ना देने पर गिरफ्तारी वारंट होंगे जारी:


ब्यूरो ने दो नोटिस भेजे बाद में व्यक्तिगत तौर पर नोटिस भिजवाए मगर आरोपियों ने बयान दर्ज कर अपना पक्ष नहीं बताया
नगरपालिका सूरतगढ़ के औद्योगिक भूखंड नं 174 और 175 का नीलामी घोटाला
करीब 11 करोड़ का घोटाला:मुकद्दमा नं 78/15
तत्कालीन अध्यक्ष बनवारीलाल ने जवाब दिया है वह भी आरोपियों पर भारी पड़ रहा है।
स्पेशल रिपोर्ट-ब्लास्ट की आवाज दि.24 अगस्त 2015 से साभार
नगरपालिका सूरतगढ़ के औद्योगिक भूखंड नं 174 और 175 की खरीद में घोटाला और उसके बाद गैर कानूनी रूप में टुकड़े कर बेचने में भी घोटाला हुआ जिसमें नगरपालिका के तत्कालीन अध्यक्ष,ईओ,खरीदार व आगे टुकड़े कर खरीदने वाले,हलफनामें देने वाले आरोपित हैं। एसीबी में जयपुर थाने में एफआइआर नं 78/15. दर्ज होकर जांच श्रीगंगानगर चौकी के सुपुर्द की गई । जांच अधिकारी आनन्द स्वामी ने शिकायत कर्ता पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु के बयान लेने के बाद 29-7-2015 को आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
मूल नीलामी की बोली दाता सूची में लिखे आरोपियों को नोटिस मिलने के बाद हलचल मची हुई है। 

 
एसीबी ने भूखंड नं 174 के मूल खरीदारों महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील,रिंकल कुमार पुत्र देशराज,राजेन्द्र पुत्र गिरधारीलाल,नवलकिशोर पुत्र ओमप्रकाश, ओमप्रकाश पुत्र भूराराम औा इंदिरादेवी पत्नी कृष्णदेव को नोटिस जारी किए हैं लेकिन किसी ने भी बयान दर्ज नहीं करवाए।
एसीबी ने भूखंड नं 175 के मूल खरीदारों महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील,संजयकुमार पुत्र फतेहचंद को नोटिस जारी किए गए लेकिन किसी ने भी बयान दर्ज नहीं कराए।
पत्रिका के अनुसार आरोप है कि भूखंड नं 174 के मूल खरीदारों ने नगरपालिका अध्यक्ष व ईओ के साथ सांठगांठ कर भूखंड की दुकानें काट कर आगे बेचान कर रूपए कमाए। इस भूखंड को आगे मनीषकुमार पुत्र कृष्णदेव गोदारा,आशीष पुत्र कृष्णदेव गोदारा,खुद कृष्णदेव गोदारा,राजेन्द्र उपाध्याय व उनकी पत्नी सुमन उपाध्याय,मुरलीधर उपाध्याय,जगदीश पंचारिया,महावीर पुत्र कृष्णलाल बिश्रोई और भागीरथ पुत्र रामेश्वरलाल जाट को बेच दिया। भूखंड नं 175 को बृजलाल पुत्र सुरजाराम गोदारा,रमेश रानी पत्नी कृष्णलाल बत्तरा,सुभाषचन्द्र पुत्र बेकनराम सिंधी और पवनकुमार पुत्र फतेहचंद को बेच दिया गया।
 

असल में नोटिसों के जवाब या बयान देने पर मूल खरीदारों का पक्ष  आ पाएगा।
शिकायतकर्ता स.हरचंदसिंह सिद्धु के अनुसार नगरपालिका के तत्कालीन अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल,तत्कालीन ईओ राकेश मेंहदीरत्ता के अलावा संबंधित कर्मचारी और भूखंडों के टुकड़े कर दुकानें खरीदने वाले भी आरोपी हैं। सिद्धु के अनुसार बाद में नामांतरण दर्ज करने वाले तत्कालीन ईओ पृथ्वीराज जाखड़ भी आरोपी हैं। बोली के समय जिला कलक्टर की ओर से प्रतिनिधि भी आरोपी हैं। उस समय जिला कलक्टर की ओर से तत्कालीन एडीएम संत कुमार बुडानिया थे। इसके अलावा इनकी रजिस्ट्री करने वाले सब रजिस्ट्रार भी आरोपियों में हैं।
मूल खरीदारों के बयानों के देने के बाद जांच आगे बढ़ेगी। मूल खरीदार बयान नहीं देते हैं तो ब्यूरो गिरफ्तारी वारंट जारी कर आगे की कार्यवाही करेगा जिसमें गिरफ्तारी होगी व कार्यवाही जांच आगे की जाएगी। ब्यूरो नोटिसों के बाद व्यक्तिगत तौर पर नोटिस देने की संपूर्ण कार्यवाही पूरी कर चुका है और बयान नहीं  देने पर अब गिरफ्तारी वारंट जारी करवाने की प्रक्रिया ही बाकी बची है।
मूल खरीदारों में हलचल मची है और वे अपने हिसाब से कोई रास्ता बनाने की भागदौड़ में लगे हैं ताकि ब्यूरो के शिकंजे से एक बार बच सकें।
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क्या है भूखंड नं 174 व 175 का नीलामी और आगे बेचान घोटाला
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ये भूखंड नीलामी के वक्त ही चर्चा में आ गए थे जब नीलामी सूची में घोटाला हुआ और जब इनकी नियम विरूद्ध दुकानें काटी गई तब और अधिक चर्चा शुरू हो गई कि नगरपालिका को करोड़ों रूपयों का नुकसान पहुंचा कर लोगों ने करोड़ों रूपए कमा लिए। उस वक्त गंगाजल मील का विधायक काल था व उनका पुत्र महेन्द्र मील व नजदीकी लोगों ने नीलामी में खरीदारी की जिसमें कई सहुलियतें दी गई। मील राज के दबदबे में सब किया गया व कराया गया।
पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने नगरपालिका से सूचना के अधिकार में अधिकृत दस्तावेज प्राप्त करने के बाद भ्रष्आचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज करवाई थी। ब्यूरो के द्वारा पहले पी दर्ज हुई व उसकी जाँच में आरोप प्राथमिक दृष्टि से अपराध होना पाए गए। जिस पर मुकद्दमा नं 78/15 दर्ज हुआ।
नगरपालिका में औद्योगिक भूखंड नं 174 व 175 की नीलामी और उनके रिकार्ड में गलत इन्द्राज व बाद में उनके नियम विरूद्ध टुकड़े कर बेचने आदि में भ्रष्टाचार व सरकार को करोड़ों रूपयों का नुकसान पहुंचाने वाले प्रकरण में पूर्व विधायक वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की श्रीगंगानगर चौकी में बयान हुए और पालिका के कुछ कर्मचारियों को भी ब्यूरो चौकी में बुला कर पूछताछ की गई थी। नगरपालिका से रिकार्ड लिया जाने के बाद ब्यूरो के सामने घोटाले की परतें खुलती गई।
वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु ने पहले यह प्रकरण मार्च 2013 में भ्रष्टाचार निवारण अदालत श्रीगंगानगर में दायर किया था। सर्वाच्च न्यायालय के निर्देश पर अदालत में सीधे इस्तगासे पर प्रकरण की सुनवाई होने पर रोक लग जाने के कारण वहां से वाद ले लिया गया। सिद्धु ने बाद में यह प्रकरण ब्यूरो के जयपुर मुख्यालय में दर्ज कराया गया।
नगरपालिका सूरतगढ़ की मास्टर प्लान के तहत वर्कशॉप ट्रांसपोर्ट योजना वार्ड नं 6 में भूखंड नं 174 और 175 की खरीद और उसके नियम विरूद्ध टुकड़े कर आगे बेचान करने तथा लीज को भी नियम विरूद्ध संशोधित किए जाने से राजकोष को करोड़ों रूपए की हानि पहुंचाने का आरोप लगाते हुए महेन्द्र मील पुत्र गंगाजल मील, पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल,अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता,अधिशाषी अधिकारी पृथ्वीराज जाखड़,संजय धुआ पुत्र फतेहचंद के विरूद्ध पूर्व विधायक वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7-3 ए, बी, सी, डी,भारतीय दंड संहिता की धाराओं 167,218,219,467,468,471,474 व 120 बी के तहत यह वाद दायर किया । इसमें सब रजिस्ट्रार पर भी मिली भगत का आरोप लगाया गया था।
    आरोप लगाया गया था कि वार्ड नं 6 में वर्कशॉप ट्रक ट्रांसपोर्ट योजना के प्लॉट नं 174 व 175 की नीलामी निकाली गई। इनके साईज 120 गुणा 150 फुट थे।
प्लॉट नं 174 की नीलामी में बोलीदाता रिंकलकुमार पुत्र देसराज,राजेन्द्रकुमार पुत्र गिरधारीलाल,नवलकिशोर पुत्र ओमप्रकाश,ओमप्रकाश पुत्र भूरा राम,इन्द्रादेवी पत्नी कृष्णदेव व महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील ने अलग दो बोलियां लगाई। जिसमें अंतिम बोली 40 लाख 50 हजार रूपए राजेन्द्रकुमार की थी। अपराधिक षडयंत्र के तहत अध्यक्ष बनवारीलाल अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता,सहायक अभियंता व प्रतिनिधि जिला कलक्टर ने उक्त बोली को संयुक्तरूप से राजेन्द,रिंकलकुमार,महेन्द्रकुमार,नवलकिशोर,ओमप्रकाश व इन्द्रादेवी की मान कर दर्ज की जो कानून विरूद्ध है।
    इसी प्रकार प्लॉट नं 175 की नीलामी में बोलीदाता जगदीश पुत्र सुरजाराम,संजयकुमार पुत्र फतेहचंद,राधेश्याम पुत्र गुरादित्ता,सुरेन्द्रकुमार पुत्र रामकिशन व महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील ने बोली दी। इसमें संजयकुमार व महेन्द्रकुमार मील को एक पक्ष व सुरेन्द्रकुमार को दूसरा पक्ष मानकर बोली लगाई गई। यह अंतिम बोली संजयकुमार की 52 लाख 50 हजार की स्वीकृत हुई।
    प्लॉट नं 174 की लीज तैयार करते समय सफल बोली दाता नवलकिशोर व भूराराम का नाम वापिस ले लिया गया और अवैध रूप से भ्रष्टाचार करके 6 व्यक्तियों की एवजी में 4 की मानकर लीज तैयार की गई। और उक्त प्लॉट नं 174 को उपविभाजित करके 20 दुकानों का साइज बताकर लीज तस्दीक करवाई। जो कानून विरूद्ध थी।
इसी प्रकार प्लॉट नं 175 को अवैध रूप से उपविभाजित कर 20 दुकानों की लीज तस्दीक करवाई। सब रजिस्ट्रार सूरतगढ़ इस भ्रष्टाचार में लिप्त रहा।
इसके बाद दोनों मूल लीज को संशोधित करवाकर 4 भागों में उप विभाजित करवाकर उन 4 हिस्सों का अग्रेतर उपविभाजन कर लीज संशोधित करवाई गई। यही प्रक्रिया प्लॉट नं 175 में अपनाई गई।
उक्त प्लॉटों के उपविभाजन से बनी दुकानों को स्वीकृति देकर आरोपी ईओ पृथ्वीराज जाखड़ ने नामांतरण खरीदारान के नाम से किया तथा राजकोष को करोड़ों  का नुकसान पहुंचाया। आरोप है कि इसमें राजकोष को करीब 12 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया।
इसमें विधायक गंगाजल मील पर भी आरोप लगाया गया है कि विधायक गंगाजल मील ने बनवारीलाल मेघवाल को अपना उम्मीदवार बताया जिसने पालिकाध्यक्ष सूरतगढ़ का चुनाव जीता। राकेश मेंहदीरत्ता जो नगरपालिका सूरतगढ़ में लेखाधिकारी पद पर कार्यरत था को विधायक गंगाजल मील और पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने सूरतगढ़ नगरपालिका में अधिशाषी अधिकारी पद पर नियुक्त करवाया।
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बनवारीलाल ने जवाब दिया घोटाले से इन्कार नहीं किया
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तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने नोटिस का जवाब 8 अगस्त 2015 को दिया है जिसमें कार्य किए जाने की समस्त जिम्मेदारियां ईओ व अधीनस्थ कर्मचारियों की बताई है। इस जवाब से जहां बनवारीलाल ने अपना बचाव किया है लेकिन कहीं भी घोटाला होने से इन्कार नहीं किया। बनवारीलाल ने तो अपने उत्तर में जिम्मेदारी ईओ व अधिनस्थ स्टाफ पर डाल दी।
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कौन है ब्यूरो जांच से प्रभावित
महेन्द्र मील गंगाजल मील के पुत्र हैं।
संजय धुआ पुत्र फतेहचंद मील के खास व्यक्तियों में हैं।
इन्द्रादेवी पूर्व पार्षद हैं। इनके पति कृष्ण गोदारा व दो पुत्र मनीष गोदारा व आशीष गोदारा  हैं। मनीष गोदारा व आशीष गोदारा दोनों राजकीय सेवा में शिक्षा विभाग राजस्थान में स्कूल लेक्चरार हैं।
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अजब संयोग है प्रभावितों में: दो पर दुराचरण के मामले भी हैं
तत्कालीन पालिका अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल और ईओ राकेश मेंहदीरत्ता दोनों यौन दुराचरण के मुकद्दमों में भी फंसे हुए हैं। बनवारीलाल मेघवाल पर अनुसूचित जाति महिला से यौन दुराचरण करने के आरोप में दि 7-10-2010 को मुकद्मा दर्ज हुआ था व चल रहा है। ईओ राकेश मेंहदीरत्ता पर 30-7-2015 को जयपुर में यौन दुराचरण का प्रकरण दर्ज हुआ है जिसमें वह गायब है।
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प्रेस क्लब के दो प्रभावित: तीसरा तो बचे
प्रेस क्लब के दो सदस्य राजेन्द्र उपाध्याय व नवल किशोर भोजक इस भूखंड घाटाले के आरोपों में घिरे हुए हैं। इतना सामने होते हुए भी एक और मामला बनने में आ रहा हे जिससे बचा जा सकता है। प्रेस क्लब के अध्यक्ष दैनिक हाई लाइन के संपादक हरिमोहन सारस्वत का आवास जो उनकी पत्नी जयश्री के स्वामित्व का है। जयश्री की ओर से पालिका में खांचा भूमि के लिए आवेदन किया गया है जिसमें 10 गुणा 90 का खांचा मांगा गया है। उक्त भूमि सड़क मार्ग अधिकार की है जिस पर कब्जा किया हुआ है। पहले पालिका ने इसे सड़क मार्ग अधिकार मानते हुए नोटिस देकर तोड़ डाला था। अब फिर अवैध कब्जा करके उसे खांचा भूमि में लेने के लिए कोशिशें हो रही है। किसी प्रभाव से नगरपालिका ने देदी और जयश्री ने ले ली तब यह नया घोटाला हो जाएगा। लाभ लेने वाला व पालिका कर्मचारी दोनों ही आपराधिक कृत्य में उलझ जाऐंगे और दोष सिद्धी में सजा होने का प्रावधान है। जानकारी होते हुए इससे बचा जा सकता है। पूर्व में जब अतिक्रमण तुड़वाया गया था तब एक भी प्रेसवाला साथ में नहीं खड़ा था। सभी के मोबाइल शांत थे और सभी ने बाद में भी चुप्पी धारण किए हुए रखी थी। मील का राज था और प्रेसवाले मील के खास थे।
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पूर्व विधायक कासनिया के पुत्र व पत्नी पर भी है भूखंड घोटाले का आरोप
स.हरचंदसिंह सिद्धु ने पीलीबंगा नगरपालिका द्वारा की गई नीलामी पर मामले दर्ज कराए थे
सूरतगढ़। नगरपालिका पीलीबंगा ने करीब आठ नौ साल पहले दो भूखंड नीलामी में बेचे थे। इनमें भी सूरतगढ़ के भूखंडों की तरह नीलामी में और नाम आदि जोडऩे कांट छांट करने आदि के घोटाले हुए थे। सिद्धु ने तब रामप्रताप कासनिया की पत्नी व पुत्र को व तत्कालीन ईओ पृथ्वीराज जाखड़ को आरोपी बना कर दो अलग अलग प्रकरण दर्ज करवाए थे।
एक पीलीबंगा की अदालत में विचाराधीन है तथा दूसरा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में विचाराधीन है।

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राजेन्द्र उपाध्याय व श्रीमती इन्द्रादेवी ने अपने लिखित बयान दिए हैं।

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