* करणीदानसिंह राजपूत *
एसीबी की गिरफ्तारी से पहले सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी काम कराने के लिए आने वाले आदमी को आदमी ही नहीं समझते। सीधे बात नहीं करते। चक्कर पर चक्कर कटवाते हैं। भयानक गर्मी हो लू के छपेड़े हो,भयानक सर्दी हो,50-60 साल के आदमी को भी दफ्तर के चक्कर कटवाते हैं।
👌अधिकारी लाट साहब दफ्तर के समय में दफ्तर में नहीं विराजते। वे मन में आए जब आते हैं और मन में आए जब दफ्तर छोड़ जाते हैं।कुछ तो ऐसे हैं कि दो-दो तीन-तीन दिन दफ्तर में नहीं आते। गायब रहते हैं। दफ्तर में किसी कर्मचारी को पूछें तो कहा जाता है कि मालूम नहीं है साहब आएंगे या नहीं। हालत बहुत खराब है।
👌 राजस्थान में भारी भरकम वेतन और अनेक सुविधाएं होते हुए भी सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के पेट नहीं भरते। उनकी पेप भराई उस दिन होती है जब एसीबी ट्रेप करती है। रंगे हाथों गिरफ्तार करती है। रिश्वत लेते ही रासायनिक घोल से हाथ धुलवाती है।
* अनेक लोगों को पता नहीं है कि एसीबी की गिरफ्तारी के समय अच्छे खासे शरीर से पुष्ट स्त्री हो या पुरुष उनको सर्दी लगने लग जाती है। अनेक लोगों को पेशाब की लैट्रिन की हाजत तक हो जाती है। लेकिन एसीबी सबसे पहले हाथ धुलाने का कार्य करती है। सूरतगढ़ में एक पुलिस उप अधीक्षक कुछ साल पहले एसीबी ने गिरफ्तार किया था तब उनको सर्दी लगने लगी और कंपकंपी छूट गई। उनको कंबल ओढाया गया था। रिश्वत के रूपये कुल्हे के नीचे दबाए। जो ड्रेस की पेंट पहनी हुई थी वह भी जब्त की गई थी।
👌अधिकारी या कर्मचारी किसी भी जाति का हो किसी भी समाज का हो कितने भी रसूख रखने वाला हो,एसीबी की ट्रेप कार्यवाही होने पर कोई भी उसे बचा नहीं पाता। जब गिरफ्तारी होती है तब कोई नजदीक भी फटकाना नहीं चाहता। जिसकी गिरफ्तारी होती है उसका चेहरा देखने वाला होता है। गोरे रंग का व्यक्ति भी पल भर में सांवला और काला नजर आने लग जाता है। चेहरे का रंग उड़ जाता है।संज्ञा शून्य हो जाता है।
* पैसे लेते रिश्वत का कहते वक्त काम कराने वाले को इतना डराया जाता है कि वह पैसा देने के लिए रिश्वत देने के लिए मजबूर हो जाता है। और अनेक लोग ऐसे हैं जो इस पीड़ा दंडनीय बनाने का कदम उठाते हैं, रिश्वत देने के बजाय एसीबी से संपर्क करते हैं।
एसीबी के जाल में फंसा व्यक्ति तड़पता बहुत है, लेकिन उसके मुक्ति अदालत से सजा के बाद ही होती है। सोचिए कि 30- 40 - 45 साल की उम्र में जो पकड़ा जाता है,कुछ वर्ष अदालत के अंदर मुकदमे के लग जाते हैं और जब सजा होती है तब वह 50-60 साल का बुड्ढा होता है। अब सोचें कि उस उम्र में सजा होती है तब उसकी पीड़ा क्या होती होगी? यह अनुमान लगाया जा सकता है।
👍 एसीबी द्वारा गिरफ्तारी की खबरें घटनाएं अखबारों में छपती हैं चैनलों पर खूब चलती हैं और इसके बावजूद भी अधिकारी और कर्मचारी अपने आप में सुधार नहीं करते।
** वे सोचते हैं कि उनके खास चमचे,जाति समाज के लोग, ठेका लेने वाले दलाल आदि लोग ज्यादा प्रभावशाली है और वह कभी भी गिरफ्तार नहीं हो सकते। दलाल के माध्यम से रिश्वत लेंगे। किसी व्यक्ति के माध्यम से लेंगे तो पकड़े नहीं जाएंगे लेकिन उनको मालूम होना चाहिए कि रिश्वत किसी के भी माध्यम से ली जाए एसीबी का फंदा उनके गले तक पहुंच ही जाता है।
* विभाग के कार्यालय में एसीबी कब किस रूप में पहुंच जाए, भेष बदल कर पहुंच जाए, यह मालूम नहीं पड़ता। अधिकारी का ट्रैप होता है तब उसके होश उड़ जाते हैं।
*आप सरकारी कर्मचारी हैं या अधिकारी हैं तो सावधान रहें। जनता का काम समय पर करें और रिश्वत लेने की कभी सोचें भी नहीं,क्योंकि आपके सभी रिश्तेदारों मित्र दलालों नेताओं नेतियों के अधिकार से एसीबी की पावर सबसे अधिक है। अपना और परिवार का भला चाहते हैं तो अच्छे बने रहिए।०0०
लेख. 17 जून 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधि स्वीकृत लाईफटाईम)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356.
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