शनिवार, 29 मार्च 2025

राणा सांगा ने बाबर को पत्र नहीं लिखा: प्रेमसिंह कुंपावत

 

महाराणा सांगा द्वारा बाबर को पत्र लिखे जाने का कोई प्रमाण नहीं है। एक बार फिर यह निर्थक चर्चा का विषय बना हुआ है।

 बाबर 1519 ई० से ही भारत को लूटने आता रहा था तथा हर बार छुटपुट युद्ध के बाद पराजित लौट जाता था। 1526 में महाराणा सांगा द्वारा उसको पत्र लिख कर बुलाने का क्या तर्क बैठता है, यह इस अभागे देश के मक्कार वामी इतिहासकार ही बता सकते हैं। 


बाबर को पत्र लिखने का स्रोत बाबर का ही लिखा  *बाबरनामा* है जो कि झूठ का पुलिंदा है। आत्ममुग्ध हत्यारे की पुस्तक के आधार पर वामियों ने जो झूठ प्रचारित किया है, वह पुस्तक पूरी ही असत्य है। 


 जिस लोधी को महाराणा सांगा, बकरौल व खतौली के युद्ध में दो बार पराजित कर  लोधी के पुत्र को दो वर्षों तक बंदी बनाकर रख चुके थे तथा लाखों स्वर्ण मुद्राएँ दण्ड लेने के बाद जिसे मुक्त किया गया, उस लोधी को पराजित करने के लिए सांगा बाबर को पत्र लिखेंगे, यह मूर्खता केवल वामपंथी ही कर सकते हैं। 


 बाबर को यह पत्र गुजरात के लुटेरे शासक के मंत्री इमाद- उल- मुल्क ने लिखा था, जिसका विस्तारपूर्वक उल्लेख श्री RC मजूमदार ने अपनी विराट पुस्तक *दिल्ली सल्तनत* में किया है। 

कुछ लेखकों के अनुसार यह पत्र पंजाब के मुसलमान राज्यपाल या स्वयं लोधी के संबन्धियों ने लिखा था। 


 इस अभागे देश में वामपंथी ठगों ने पानीपत के युद्धों को निर्णायक युद्ध बताकर मार्केटिंग की है। इसका कारण था हिंदू राजाओं व योद्धाओं के शौर्य को पोंछ कर इस्लामी हत्यारों की क्रूरता को कम करके दर्शाना, जिससे कि बचे खुचे भारत का इस्लामीकरण भी शीघ्रता से किया जा सके। 


सोलहवीं शताब्दी का सबसे निर्णायक युद्ध पानीपत नहीं, खानवा में लड़ा गया था।


बाबर की एक लाख  व सांगा की दो लाख सेना के बीच लड़ा गया यह युद्ध इतिहास के सर्वाधिक वीभत्स युद्धों में से एक है। प्रातः आठ बजे से बारह घंटे तक चले इस युद्ध में दो लाख योद्धा मारे गए थे। 


पानीपत का युद्ध खानवा के युद्ध के सम्मुख बचकानी झड़प से अधिक नहीं था  पर मानना पड़ेगा इस देश के वामियों को। खानवा का उल्लेख तक मिटा दिया गया है इतिहास से। 

दस वर्षों से रो रहा हूँ कि केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकारों को एक *इतिहास पुनर्लेखन आयोग* का गठन करना चाहिए । History rewriting commission बना तो मेरे यशस्वी पूर्वज महाराणा सांगा जैसे अनेकानेक हिंदू राजाओं व योद्धाओंके साथ हुए अन्याय को हम सुधार सकेंगे। अन्यथा यही मिथ्या प्रलाप हमारे बच्चों को पढ़ाया जाता रहेगा।बलात्कारी- हत्यारों का समूह हमारे बादशाह बन जाएँगे तथा हमारे रक्षक राजा लुटेरे बना दिए जाएँगे। 


प्रेमसिंह कुंपावत,

गांव ढो़ला,जिला पाली राजस्थान

 99501 20011

यह ब्लॉग खोजें