मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025

गैस प्लांट शहर में बनाने का कोई पत्र नहीं.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 18 फरवरी 2025.

रिलायंस गैस प्लांट सूरतगढ़ सिटी में लगाए जाने संबंधी कोई कागजात राजस्थान और केन्द्र सरकार का निर्माता कं प्रतिनिधि के पास नहीं है। यदि ऐसा कोई भी पत्र राजस्थान व केंद्र सरकार का होता तो अब तक सामने आता, उसके लिए सात दिन का समय देने की जरूरत नहीं होती। 

* सूरतगढ़ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य एवं नगरपालिका के पूर्व अधिशासी अधिकारी पृथ्वीराज जाखड़ ने पिछली बैठक में यह घोटाला सदस्यों के सामने रखा। जाखड़ ने कागज दिखाते हुए ऊजागर किया कि ग्रामीण क्षेत्र में कृषि भूमि का कन्वर्जन ( भू उपयोग रूपांतरण) की छूट है,लेकिन यह सूरतगढ़ शहरी आबादी में लगाया जा रहा है जिसका कोई पत्र नहीं है।

* एसडीएम ने 11 फरवरी 2025 को जन घेराव के समय निर्माता प्रतिनिधि को सात दिन में कोई स्वीकृति है तो वे कागजात दिखाने का  और तब तक काम बंद रखने का निर्देश दिया था। वह अवधि बीत गई। हालांकि मौके पर निर्माण कार्य बंल नहीं किया गया। मौके का निरीक्षण और काम बंद रखवाने की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की थी। नगरपालिका की अधिशासी अधिकारी पूजा शर्मा और एसडीएम संदीपकुमार काकड़ जो नगरपालिका के प्रशासक भी हैं की जिम्मेदारी बनती है। 

* नेट साईट "करणी प्रेस इंडिया" में  यह प्रकरण सबसे पहले 26 मई 2024 को जनता के सामने लाया गया जब भूमि समतलीकरण का काम हो रहा था और आबादी में लोग डर रहे थे कि आखिर यहां बन क्या रहा है? निर्माता ने वहां कोई सूचना पट्ट नहीं लगाया था। 

** अब लोग इस प्लांट को शहर में आबादी के बीच लगाने का विरोध कर रहे हैं और प्रशासन एसडीएम ईओ इसे बंद नहीं करवा रहे। यह मामला जिला कलेक्टर डा.मंजू की जानकारी में भी है। प्रशासन की लापरवाही भरी गैर जिम्मेदाराना ढील से शहर में शांतिपूर्ण वातावरण में अशांति भड़केगी जिसकी अधिकारियों को अभी चिंता नहीं है। 

* यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि प्लांट शुरू होने से आसपास की कालोनियों में भूखंडों की कीमतें बढ जाएंगी लेकिन यह असलियत नहीं बताई जा रही कि खतरे में जीवन होगा और कीमतें कोई खरीदार ही नहीं होगा। कोई बसना ही नहीं चाहेगा।

👍 अभी संघर्ष समिति में परिवर्तन की भी जरूरत है और जुझारू अध्यक्ष संयोजक हो जो प्रशासन पर दबाव डाले और संघर्ष लगातार प्रतिदिन चले।यह लोगों की भावना चर्चा में आ रही है। 

👌 राज्य में सत्ताधारी भाजपा के लिए सूरतगढ़ में चुप्पी पर बड़ा संकट आफत आने वाली हालत है जो आगे नगरपालिका चुनाव को प्रभावित कर सकती है।  ०0० 

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