एसीबी मेहरबान दयावान और लालरंग!*शब्द कथा: करणीदानसिंह राजपूत
बस,किसी के दिन अधिक अच्छे न आएं।
एक क्षण में लाल रंग और अधिकारी से अभियुक्त मतलब कुर्सी से जमीन पर!
हां,अनेक बार हाथ नहीं रंगे जाते।
दलाल के हाथ रंगे जाते हैं फिर भी गिरफ्तारी हो जाती है।
* जंगल में आग की तरह फैलती है खबर। फलां ट्रैप हो गया।
* जब एसीबी का स्टाफ हाथ पकड़ता है तब हालात बड़े विचित्र हो जाते हैं।
* किसी को पसीने तो किसी को ठंड लगने लगती है।
** किसी को शौच तो किसी को पेशाब का जबरदस्त दबाव। वो कहता है पैंट में ही निकल जाएगा। जल्दी कर लेने दो। एसीबी स्टाफ कहता है बस पहले हाथ धुलादें। फिर लघुशंका दीर्घशंका सभी कर लेना।
* साथ बैठ कर चाय ठंडा पीने वाले हों या शाम को ढक्कन खुलवाने वाले एकदम खास पत्रकार एसीबी कार्यवाही पर फोटो और विडिओ बनाते हैं।
* एसीबी वाले आते हैं तो पता ही नहीं चलता कि दफ्तर में कौन कौन कहां कहां घुसे हैं? दफ्तर के बाहर जहां दलाल हो,उसकी निगरानी कब से हो रही हो,मालुम ही नहीं पड़ता।
* रूपये देने वाला तंग परेशान होकर भी बहुत प्यारी बातें करता है। बस,मेरा काम कर दो। मोल भाव करता है और यह सब होता रहता है रिकॉर्ड।
** जरूरी नहीं कि एसीबी नोटों से ही पकड़े। दफ्तर के सरकारी कागजों दस्तावेजों में कूट रचना से भी पकड़ लेता है।
* जब हस्ताक्षर लाख दो लाख का हो इससे भी ज्यादा का हो तो कोई दिन एसीबी के लिए अच्छा भी हो सकता है।
* न जाने आज सुबह किसका मुंह पहले देखा? जवाब में आता है कि मुंह तो स्वयं का ही देखा था दर्पण में।
👌 इतना ध्यान भी होना ही चाहिए कि एसीबी औरतों पर भी पूरी मेहरबान होता है, सारे कागजात गिरफ्तारी बरामदगी के खूब प्यार से बनाते हैं कि परेशानी नहीं होने देते। समझलो कि एसीबी वाले दयावान भी पूरे होते हैं। चाय पानी रोटी बिछावन ओढावन नहाना धोना सब करवाते हैं। इन सभी सेवाओं के बाद न्यायालय में पेश करते हैं। जो पकड़े गये हैं, उनसे पूछ लो तो यही उत्तर मिलेगा कि एसीबी तकलीफ नहीं होने देता।
अधिकारी रिश्वत के रूपये रख
कर भूल जाए कि पता नहीं कहां रख दिए,लेकिन एसीबी को गंध आ जाती है और नजरें दीवार के पार भी देख लेती हैं।
👌 तो फिर रोजाना कैलैंडर और तारीख देखें। न जाने कब वक्त का मिजाज बदल जाए।०0०
17 नवंबर 2024.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 61 वां वर्ष,
( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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