* करणीदानसिंह राजपूत *
* विरोधियों को खत्म कर नाम मिटाता जा रहा *
नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा की राजनीति और कार्यप्रणाली से लगता है कि अपने विरोधियों को अजब गजब तरीकों से तड़पा तड़पा कर हटाता जा रहा है।कुछ के तो नाम ही गायब हो गये हैं। अजगर है निगल रहा है। दो मुंहा है जो डस रहा है और मालुम पड़े तब तक नाम ओझल। सांस पीवणा भी कहा जा सकता है। नगरपालिका में अनेक की धूम खत्म करदी। चरचे यह भी हैं कि नगरपालिका में ठेके लेने वाले पत्रकारों को भी निपटा दिया है। यह भी सुना जा रहा है कि विरोध में डंका बजाने वालों 120 दिन के अध्यक्ष बने परसराम भाटिया और पूर्वपालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल पर मुकदमें भी दूसरों से करवा दिए और खुद खुला का खुला रहा। मुकदमें वे ही लड़ते रहेंगे जिन्होंने किये हैं।
परसराम भाटिया और बनवारीलाल मेघवाल भाजपा के इस अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा को कानून से शिकायतों से पटखनी देने पर पूरा जोर लगाए हुए हैं लेकिन कानूनी दांवपेंच से कालवा निलंबित होकर दो बार पद पर बहाल होकर आ गया। परसराम भाटिया और बनवारीलाल मेघवाल और भी दो चार लोग चाहते हैं कि कालवा की चैक जारी करने और योजनाएं बनाने आदि की पावर पर रोक लग जाए। यदि ऐसा होता है तो सवाल उठता है कि कालवा क्या खोएगा? उसके घर से तो कुछ जाने वाला नहीं। नगरपालिका बोर्ड का कार्यकाल तो नवंबर तक है। चुनाव होते हैं तो अक्टूबर में आदर्श आचार संहिता लगने तक का ही कार्यकाल होगा। अब इतने समय में कोई योजना आदि बनाई जाना संभव नहीं और फिलहाल कोई योजना जैसा समाचार भी नहीं है। यदि चुनाव टलते हैं और मई 2025 में होने का सुन रहे हैं तब नवंबर के अंतिम सप्ताह में सरकार नगरपालिका पर प्रशासक नियुक्त कर देगी। मतलब यह है कि अब ओमप्रकाश कालवा केवल ढाई महीने का अध्यक्ष है। यदि सरकार से कुछ नहीं होता है तो फिर इन ढाई महीनों में कालवा क्या करता है, यह देखना है। जो पट्टे बचे हैं उनको बांटना और सड़कें बिजली गंदगी की समस्याएं हैं उनका समाधान करने को दिनरात एक करना चाहिए।०0०
15 सितंबर 2024.
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