शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

* जिनके मर गये बादशाह रोते फिरें वजी़र।

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

बहुत पुरानी कहावत है,जिनके मर गये बादशाह,रोते फिरें वजी़र। जहां वजी़र रोते फिरें और उनका रोना कोई सुने नहीं तो ऐसी दुर्दशा यानि बुरे हाल में प्यादों की तो सुनवाई होना कतई संभव नहीं। प्यादे मतलब पैदल सेना सबसे छोटे सिपाही का रोना कोई नहीं सुने।

ऐसी हालत में दीवारों को सुनाए या उनसे अपना सिर भिड़ा भिड़ा कर फोड़ें। अपना नुकसान और जग हंसाई। यह रोना घर से बाहर सड़क पर हो तो लोग सुनेंगे और ताने देंगे। बात वक्त की है। राज होता है तब छोटे चमचे चापलूस तलवे चाट अपने को बलवान मानकर सबसे अधिक उछल कूद दूसरों पर करते दिखाते हैं।लेकिन राज खिसक जाने पर ऐसे लोग ही अधिक परेशान पागल होते हैं और उनका चीत्कार कोई सुनता नहीं है।

*राज जिनके सरे आम लुट गये,

उनके सभी कारिंदे बरबाद हो गये,

राज में लूटते थे डराते थे धौंस से,

अब अकाल से भूखे दिन रात हैं।

* राज चला जाए और सत्ताच्युत आका अपने को दुसरे के अधीन कर लेते हैं तब उनके कारिंदे कहीं के भी नहीं रहते। लोग उनकी धौंस से डरते नहीं और उनकी कमाई भी खत्म हो जाती है।उनकी शक्तिहीन धौंस भी चीत्कार बन कर रह जाती है। ऐसे दिन बीतने का इंतजार करना चाहिए लेकिन मलाई खाए दिनों की मौज ऐसा इंतजार करने नहीं देती।

* समय को देख समझकर कर चलना ही हितकर होता है। ऐसा नहीं कर पाते उनको नये बादशाह अपने बल पर चलाते हैं।

👍 उदाहरण जो नेता कांग्रेस या अन्य पार्टियों को छोड़ कर डर से भाजपा में घुसे,उनकी कोई पूछ नहीं है। जब आका की पूछ नहीं है तब उनके भूखे भटकते कारिंदों को कौन पूछे?o0o

16 अगस्त 2024.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 60 वर्ष.

( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान )

94143 81356

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