* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ में अशांति की घटनाएं किसी की नजर लगने के कह देने से नहीं हुई हैं सभी के जन्म के पीछे भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी हैं और हर किसी घटना में किसी न किसी नेता का चेहरा सामने आता है। कांंग्रेस की गहलोत सरकार पर आरोप लगते रहे लेकिन अब तो भाजपा की एकदम स्वस्थ भजनलाल शर्मा सरकार है। एक भी घटना होनी नहीं चाहिए मगर हो रही है और जिम्मेदारी सत्ता धारी पार्टी की होती है लेकिन उसके सूरतगढ़ पदाधिकारी और सूरतगढ़ में रहने वाले जिले और प्रदेश के पदाधिकारी नेता चाहे पुरूष हैं चाहे महिला हैं, वे अनजान से बने हुए हैं। अशोक गहलोत के पुतले जलाकर प्रदर्शन करने वाले चुप हैं।
* शांति व्यवस्था के लिए पुलिस और नागरिक प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो किस प्रकार की है। जिलाकलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक इसकी समीक्षा करें तो बड़ी जिम्मेदारी उनकी बनती है। दोनों पदाधिकारी जिला मुख्यालय से कितनी बार बाहर निकले? क्या वे केवल जिला मुख्यालय के लिए ही हैं या अपने आप वहां के बन कर रह गये हैं? आपराधिक घटनाएं जो पुलिस विभाग से संबंधित हैं उनकी संख्या काफी हो चुकी हैं। पुलिस सतर्क हो और गश्त हो तो घटनाएं रोकी जा सकती हैं और कम हो सकती है। क्या किसी ने पुलिस उप अधीक्षक को कभी गश्त करते देखा? क्या थानाधिकारी को गश्त करते देखा? दावे के साथ कहा जा सकता है कि 20-25 साल पहले तक तो थानाधिकारी और पुलिस उप अधीक्षक की अलग अलग गश्त लोगों ने देखी है। पुलिस गश्त से निश्चित ही आपराधिक घटनाएं कम होती हैं।
नागरिक प्रशासन के एडीएम और एसडीएम तक को शहर का निरीक्षण करते देखते थे लेकिन अब ये अधिकारी भी कार्यालयों में ही रह गये हैं और कार्यालयों में भी पूरे समय नहीं होते। कई नेता और उनसे जुड़े परिवार रिश्तेदार घटनाओं के जन्मदाता होते हैं तो बाकी के तमाशबीन होते हैं चुप रहने वाले मृत जैसे। पैसे के बल पर अधिकारियों कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त करके जनता के हक हकूक की जगह को हड़पने की घटनाएं बढ चली हैं। सार्वजनिक भूमि हो या सड़क हो उन पर कूट रचना के दस्तावेजों से कब्जे करना कराना सामने आता है तो किसी न किसी धनपति का किसी नेता का कालिख पुता चेहरा दिख जाता है। सरकारी संपत्ति भूमि आदि के कागजात कूटरचित तैयार कराए जाते हैं औरतों के फोटो व नामों से। बड़ी समझदारी है कि जेल होगी तो औरत को होगी। आदमी बाहर रहेगा। कलयुगी समझदारी कि आदमी अपनी पत्नी से ही धोखा कर रहा है। इनमें नगरपालिका के अधिकारियों ईओ, पार्षदों व अध्यक्ष के चेहरे। हर राजनैतिक दल के नेता लिप्त हैं या लिप्त नहीं हैं तो चुप हैं।
9 जुलाई 2024.०0०
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