अध्यक्ष व नेता भ्रष्टाचारी व्यभिचारी मुकदमे व आरोप में विवादित न हो:पार्टियां रखें ध्यान.
* करणीदानसिंह राजपूत *
नगरपालिकाओं नगरपरिषदों के अध्यक्ष आचरण के मामलों में साफ सुथरे हों,उन पर व्यभिचार का मुकदमा न हो और न जगजाहिर चर्चांएं और स्टोरियां हों। भ्रष्टाचार के आरोप भी न हों। क्या साफ छवि के मिलते नहीं? भ्रष्टाचारी हों दुराचार में विवादित हों तो फिर वे क्या और कैसे काम कर पाएंगे?
* राजनैतिक दलों को अध्यक्ष पार्षद व अन्य पदाधिकारी चयन करते समय विशेष ध्यान रखना होगा कि बाद में कोई बवाल न मचे। अनपढ़ भी न हों कि उनके परिवार वाले भ्रष्टाचार की राजनीति कर आमजन व गरीब को परेशान करें।
* नगरपालिकाओं नगरपरिषदों में भ्रष्टाचार के कारण फाईलें पूरी नहीं होती और अध्यक्ष की ईच्छा पूरी हो जाए या पूरी कर दी जाए तो गैरकानूनी काम हो जाते हैं।
वे राज बाद में कोई न कोई खोजबीन कर उजागर कर देता है। नियम विरुद्ध किये काम में क्या लिया क्या दिया गया? ऐसे कामों में सरकारी कोष को लाखों करोड़ों की हानि पहुंचादी जाती है।
* कुछ महीनों बाद नवंबर 2024 में अनेक नगरपालिकाओं नगरपरिषदों के चुनाव होने वाले हैं। अनेक ने अभी से तैयारियां भी शुरू कर दी है।
** पार्टी में भी पदों पर भ्रष्टाचारी व्यभिचारी मुकदमे व आरोप में फंसे विवादित न हों। पार्टियां पदों पर नियुक्त करते वक्त ध्यान रखें। अगर पदों पर नियुक्त हो जाएं तो हटाए भी जाएं। नेताओं की ओर से पार्टी में पद के लिए भ्रष्टाचारी दुराचारी की सिफारिश कैसे कर दी जाती है?
27 मई 2024.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता के 60 वर्ष,
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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