बुधवार, 16 अगस्त 2023

आपके चेहरे में कितनी पावर है जो भाजपा कांंग्रेस में चाहने पर टिकट मिल जाए!

 








* करणीदानसिंह राजपूत *

राजनीति में 2 नावों पर सवार रहने की कोशिश और शीघ्र त्वरित निर्णय नहीं ले पाना बड़ा घातक होता है। ऐसे व्यवहार वाले पिछड़ जाते हैं और उनके साथ वाले किसी और के खेमें में चले जाते हैं। किसी अन्य के समर्थक बन जाते हैं। 

दो नावों पर सवार यानि एक पैर एक नाव पर और दूसरा पैर दूसरी नाव पर हो तो वह मंझधार में डूबता है। मंझधार में डूबते को कोई भी बचा नहीं सकता।

राजस्थान में इसी वर्ष 2023 में चुनाव होंगे। सामान्यत: चुनाव आयोग अक्टूबर के पहले पखवाड़े में चुनाव की तिथियों की घोषणा करता है। अब 60 दिन रह गए हैं और हर 24 घंटे बाद एक दिन कम होता चला जाएगा। 

* राजनीतिक बड़े दलों भाजपा और कांग्रेस में टिकट मांगने वाले पांच छह माह से सक्रिय हो गये हैं और उनके साथ लोग जुटने लगे हैं। अब कोई दो नावों पर सवार रहा और निर्णय नहीं ले पाया तो वह निश्चित रूप से पिछड़ चुका है। अगर व्यक्ति चुनाव लड़ने का ईच्छुक है तो उसके निर्णय पर साथ में कौन जुटेंगे। वह जिस पार्टी में जाने की घोषणा करेगा उसमें पहले के टिकटार्थी और कार्यकर्ता स्वीकार क्यों करेंगे? जो पिछड़ चुके हैं और अभी भी टिकट का भरोसा करते हैं या शर्त पर खेल रहे हैं तो वे नुकसान में रहेंगे मतलब कहीं के भी नहीं रहेंगे। इस अगस्त माह में उनको निर्णय कर लेना चाहिए बल्कि तीसरा सप्ताह शुरू होने से पहले शर्त बिना शर्त किसी एक पार्टी में शामिल कर लेना चाहिए। अपने आपको अधिक चतुर समझना अधिक ताकतवर समझना भी अनेक बार घातक होता है। व्यक्ति की देरी उसके किए कामों पर लोकप्रियता पर संघर्ष पर पानी फेर देती है। राजनीतिक हैं तो सोचें कि आप कहां खड़े हैं? क्या आप भी देरी कर चुके हैं? क्या निर्णय नहीं ले पा रहे कि कौनसी नाव में रहें। देरी के बाद पार्टी में तो ले लिए जाएंगे मगर टिकट नहीं मिलेगा। आखिर आपको देरी पर भी टिकट क्यों दिया जाए? क्या इतनी पावर आपके चेहरे में है? ०0०

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