शुक्रवार, 24 मार्च 2023

सूरतगढ जिला बनाओ अभियान और नेताओं का मन.

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


कोई भी नेता जवाब नहीं देगा और किसी भी नेता के पास जवाब भी नहीं है कि सूरतगढ जिला बनाओ अभियान में राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 62 अनिश्चित काल जाम की घोषणा की होने के बावजूद केवल 7 घंटे बाद ही खोल दिया गया। 

कमजोर नेता इस खोखलेपन का जवाब दे भी नहीं सकते। आंदोलन में ताकत और नीयत हो तो घोषणाएं पूरी निभाई जाती है। सच्च के साथ ताकत होती है और मन साफ नहीं हो स्वार्थ हो अपना निजी भविष्य आकलन करना होता है तब  कुटिल बयान बाजी और गोलमोल बयानों से काम अधूरा छोड़ते नेता शर्म महसूस नहीं करते।

आज 24  मार्च 2023 के राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं62 के अनिश्चित काल के जाम का निर्णय किसका था? समिति के अध्यक्ष का अकेले का निर्णय नहीं था। समिति के सदस्यों ने यह निर्णय किया उससे पहले विचार विमर्श और सुझाव हुए। सोच समझ कर निर्णय किया था और छात्रों युवाओं को जाम लगाने को आगे किया था तब नीयत कैसे और क्यों बदल गई? कौन कौन थे जिन्होंने युवाओं की ताकत को बदल दिया। 

👍 आज छात्र और युवा के कारण ही जाम रहा। नेता गण वीडियो देख लें कि बैठने और भाषाओं में सरकार की पिटाई की थोथी बातों के अलावा क्या किया? कैमरा रिकार्डिंग तो झूठ नहीं होगी।

* सुबह 11 बजे का जाम का समय निर्धारित था। इसके करीब आधा घंटे बाद हलचल शुरू की और सही मायने में 12 बजे जाम लगा और तीन चार बजे नेता कमजोर हो गए थक गए। ऐसा माहौल बताया जाने लगा कि मानव शक्ति तो है नहीं सो शाम तक जाम चलाएंगे। शाम को करीब साढे छह बजे जाम खोल दिया गया। नेताओं की स्वार्थी कुटिलता छात्रों के युवाओं के समझ में ही नहीं आई।

* अब सोशल मीडिया ग्रुपों में युवा व लोग भी सवाल पूछ रहे हैं कि जब जाम अनिश्चित काल के लिए था तब शाम साढे छह बजे खोल क्यों दिया और यह निर्णय बदल क्यों दिया? बहाना कि हमारे पास आदमी तो है नहीं जो रात को रहेंगे। सच्च तो यह है कि रात के लिए तो कोई प्रबंध किया ही नहीं था। नेताओं का यह प्रबंध ही पांच सात घंटे का था और समिति अध्यक्ष भी नेताओं की नीयत का शिकार हो गया। जब आदमी नहीं थे तो पहले निर्णय ही क्यों किया? 

👍 बीस पच्चीस नेता हों और उनके साथ उनकी आवाज के साथ 100 आदमी भी नहीं हों तो वे अपने आपको नेता मानते कैसे हैं? 

किसी के पास जाम की अवधि बदल देने का जवाब नहीं है। छात्रों ने आज लाज रख ली।


इससे पहले भी क्या क्या नहीं किया। नेशनल हाईवे 22 मार्च को मानकसर में 10 बजे से शाम तक जाम करना था। वह भी साढे तीन बजे खोल दिया गया था। इसके भी सवाल उठे थे क्योंकि मानकसर में छात्रों ने ही कार्य किया। नेता घूमते रहे या फिर विडियो फोटो में रहे।

उपखंड कार्यालय का घेराव 21 मार्च को 11 बजे से शाम तक था वह भी दो बजे खत्म करा दिया गया। बाजार बंद का निर्णय पूरे दिन का था और वह भी दोपहर में खुलवा दिया गया। इनमें भी युवा ही आगे थे।

थके हुए है नेता तो फिर विश्राम करें और दो तीन घंटे में बैठे बैठे ही थक जाते हैं तो ईलाज करवाएं। सूरतगढ जिला बनाओ अभियान मजाक नहीं है, बहुत गंभीर है और इसकी गंभीरता को नष्ट करने की हर बात और चाल जनता समझ रही है। 

* अपनी और दूसरे की नेतगिरी का आकलन करने के बजाय नेकनीयती से साझीदार बनो ंऋ छात्रों युवाओं की शक्ति को बेकार नहीं करो। 

* कुछ बातें और तथ्य यहां लिखे नहीं है लेकिन सभी समझ गये हैं इसलिए आगे जो करें उसमें निर्णय घोषणा और कार्य में सच्चाई और ताकत हो और अपनी अपनी मेनपावर भी हो। 

( छात्रों और युवाओं को जो उत्तर कोई दे नहीं रहा है जो मैंने जो देखा जो समझा वह दिया है ताकि आगे भविष्य में सब साफ सुथरा हो। जनता पूरे जोश में है और उसमें कोई कमजोरी नहीं है। )

( 24 मार्च 2023)










  

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