रविवार, 18 सितंबर 2022

जैनाचार्य जयानंद सुरिश्वर के चातुर्मास में सूरतगढ़ तपगढ बना: तपस्वियों में जोश.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 18 सितंबर 2022.

जैनाचार्य जयानंद सुरिश्वर के चातुर्मास में यहां निराहार  तपस्या ( उपवास) करने वालों और उनके परिवारों में उत्साह भरा है जो इतिहास रच रहा है। 

तपस्वियों की रथ यात्रा वरघोड़ा गाजेबाजे से निकलते की धूम मची रहती है। लोग व संस्थाएं पुष्प वर्षा करती हैं। लोग ये दृश्य देख आनंदित होते हैं। 

तपस्वियों के अभिनंदन और पारणा समारोह होते रहते हैं जिनमें शहर के अलावा दूर दूर के श्रद्धालु पहुंचते रहते हैं। दूर के परिजन भी पहुंचते हैं। आचार्य जी के आशीष वचन सुनने को अहोभाग्य मानते हैं और भावनाओं में बहते आनंदित हो नाचने लगते हैं। तपस्याओं का अनुमोदन गीतिकाओं,नृत्यों,कविताओं,भजनों और वक्तव्यों से होती है। ये अनुमोदन देखने और सुनने को जैन और अन्य समाजों के नरनारी समारोह में पहुचते हैं। हर अनुमोदन भावनाओं से भरा होता है और रोचक शब्दावली होती है।

आठ दिन इक्कीस दिन इकतीस दिन इक्यावन दिन निराहार रहने की तपस्याएं। अनेक पूर्ण हुई। अनेक अभी चल रही हैं। अनेक शुरू होने वाली है। 

अनुमान था कि 100 तपस्याएं होंगी लेकिन यह अनुमान पीछे रह गया। तपस्याएं 125 के लगभग होना उत्साह प्रगट करता है।

सूरतगढ़ राजस्थान प्रांत के श्री गंगानगर जिले और बीकानेर संभाग में स्थित है।०0०

18 सितंबर 2022.



करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

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