सोमवार, 22 अगस्त 2022

राजस्थान:उ.मा.विद्यालय ना पेयजल न टायलेट: लड़कियां टिब्बों की ओट में लघुशंका जाती हैं

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


राजस्थान में शिक्षा पर हर सरकार हवाई बातें करती रही है लेकिन स्कूलों की असाधारण हालात सामने आते रहते हैं।

 उच्च माध्यमिक विद्यालय में पानी न हो और  टॉयलेट की सुविधा न हो लड़कियों को स्कूल से दूर रेत के टिब्बों की ओट में जाकर लघुशंका करनी पड़ती हो तो शर्मनाक असाधारण स्थिति सामने आती है।

 शिक्षा विभाग की विडंबना यह है कि विभाग के अधिकारी न निरीक्षण करते हैं और न सूचना मिलने पर कार्यवाही करते हैं।सूचनाओं को रद्दी की टोकरी में डालते रहते हैं।

 एक असाधारण स्थिति श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ उपखंड के गांव सिंगरासर में बने उच्च माध्यमिक विद्यालय की है जहां करीब ढाई सौ छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। उच्च माध्यमिक विद्यालय में पानी घरों से लेकर पहुंचते हैं टॉयलेट के लिए स्कूल से दूर जाना पड़ता है। स्कूल के कोई चार दिवारी नहीं है। शिक्षक स्टाफ भी पूरा नहीं है और कोई सुनवाई भी नहीं है। स्कूल में करीब 50% छात्राएं हैं जिन्हें लघु शंका होने पर स्कूल से दूर रेतीले टिब्बों में जाना पड़ता है। इस स्थिति को क्या कहा जाए? स्कूल में दो साल पहले टायलेट बनना शुरू हुआ और तब से रुका पड़ा है। सरपंच अर्जुन राम गोदारा व ग्रामीण लोगों के बयान भी हैं की अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कहते रहे हैं लेकिन कार्यवाही नहीं होती। 

 यह गंभीर स्टोरी दर्दनाक कथा आंखें खोल देने वाली है जो राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण में 22 अगस्त 2022 को संवाददाता मनीराम गोदारा की छपी है। राजियासर में रहने वाले मनीराम गोदारा इस स्कूल की दयनीय दशा को देखने के लिए कई बार गए और आखिर यह स्टोरी तैयार होकर राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुई। 

सूरतगढ़ तहसील टिब्बा क्षेत्र का अधिकांश भाग है सिंगरासर गांव तहसील के सिरे पर पड़ता है और सड़क मार्ग से अर्जुन सर होते हुए घूम कर के जाना पड़ता है इसलिए इस गांव की सुध लेने और स्कूल की सुध लेने के लिए  अधिकारी नहीं जाते व कोई नेता भी नहीं जाते हैं। यदि गांव दूर हो तो क्या वहां कोई अधिकारी कभी वहां जाएगा नहीं?

पिछले दो बार से तो कहना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुने जाते रहे हैं 2013 से 18 तक राजेंद्र सिंह भादू और 2018 से 2023 तक के लिए चुने हुए रामप्रताप कासनिया। इनके अलावा कॉन्ग्रेस बसपा आम आदमी पार्टी और अनेक समाजसेवियों और भावी चुनाव के लिए नेताओं की कमी नहीं है।

टिकटों के प्रयास में लगे हुए लोगों के शुभकामना संदेश छपते रहते हैं।नेताओं के होते हुए भी गांव के स्कूलों की बड़ी दयनीय हालत है और कोई भी नेता यह दावा नहीं कर सकता कि वह एक दो सालों में चार पांच स्कूलों में कभी गया हो। सब सोशल मीडिया पर समाचार देना चाहते हैं या कहीं एक-दो घंटे का धरना प्रदर्शन करना चाहते हैं।

 प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का राज है। सूरतगढ़ में कांग्रेस के विधायक गंगाजल मील 2008 से 2013 तक रहे वे अब शहर के नगर पालिका में तो यदा-कदा चेहरा दिखाते हैं लेकिन गांव में घूमना उनके बस की बात नहीं है। 2013 के चुनाव में गंगाजल मील पराजित हुए। दो हजार अट्ठारह में उनके भतीजे हनुमान मील ने चुनाव लड़ा लेकिन वे भी पराजित हो गए।  वर्तमान में विधायक भाजपा के रामप्रताप कासनिया हैं और  पंचायत समिति में प्रधान हजारीराम मील हैं जो गंगाजल मील के सग्गे भाई हैं। 

अब कांग्रेस की बागडोर सांभे हुए तो गंगाजल मील ही है लेकिन कहीं असाधारण स्थिति हो तो कुछ जिम्मेदारी उनकी भी बनती है।

* दो चार दिन में मालुम हो जाएगा कि किन अधिकारियों और नेताओं की आंखें खुली और वे हालात देखने स्कूल पहुंचे।०0०




22 अगस्त 2022.

* करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

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