होली के रंग गुलाल
कितना प्यार बढाए
एक दिन लगे और
रंग रसीली बातें
जिंदगी भर याद रहे।
मेरे डोलू के रंग ने
तुम्हारी पीली चुनरिया
गुलाबी कर डाली
तुमने मारी पिचकारी
मुझे लाल कर डाला।
मैंने तो कपोल ही रंगे
तुमने मुझे समूचा
भिगो डाला।
मेरा क्या हाल
कर डाला।
होली के दिन
किस रिश्ते को
निभाते हुए मिलें
प्यार करें सभी
रंग रिश्ता अपनाएं।
बसंत की मस्त रितु
सभी को रसिक बनाए
किसी को कृष्ण दीखे
किसी को राधा सी
नजर आए।
होली की ठंडाई
रबड़ी भांग मिली
न तुमने पी
न मैंने कंठ उतारी
फिर यह कैसा नशा
और यह कैसी खुमारी।
मैंने जो लगाया रंग
तुम्हारे बदन पर
तुमने जो मेरी पीठ रगड़ी
मालूम नहीं
कितने दिन वह रंगीन रहेगी।
होली के दिन चार कहलाते
मौज मस्ती करें हम तुम सारे
चंग ढोलक बजाते
झूमते नाचते गाते
तुम मुझे रंगो और
मै तुम्हें रंगू
ऐसे ही होली मनाएं.
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करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़.
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1 मार्च 2020
अपडेट 6 मार्च 2023.
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