मेरी हथेली में उठाऊं
तुम्हारी पगथली।
ऐसा प्यार हमारे
तुम्हारे बीच में हो।
तुम्हारी पगथली को
चूम कर इठलाऊं।
बाहों में लेकर तुम्हें
मस्त मस्त करदूं।
ऐसा प्यार तो
सभी चाहते हैं।
मगर प्रेमिका की
पगथली को चूमना
नहीं चाहते।
मैं तो पगथली को
चूम रहा हूं सालों से।
इसीलिए तो वह
चिपटी है मेरे तन से।
बहुत आनंद मस्ती
मिलती है पगथली में।
आओ, मेरी सुंदरता
कुछ पांव उठाओ।
तुम्हारी पगथली को
भी चूमू सहलादूं।
हम दोनों में से
कोई बोल पड़ेगा।
कह देगा जल्दी से
लव माई डीयर।
सुदरता तुम सुंदर
पगथली अति सुंदर।
मैं सच्च में चूम लूंगा
पगथली तुम्हारी।
मोरपंख धारी ने
चूमी राधा की ऐड़ी।
जूही की कली सी
राधा सी मोंटी।
तुम्हारी गोरी ऐड़ी
का रसपान करूं।
सच्च में यह
अवसर आएगा।
तुम सो नहीं पाई
रात भर।
मै भी यादों में
तुम्हारी जागता रहा।
यह कैसा प्रेम है
दोनों के बीच चुपचाप।
तुम हंसती रहो सदा
मुस्कुराती रहो हर पल।
आजकल तो खुश हो
ऐसे ही खुश रहो।
तुम्हारी खुशी ही
मेरी खुशी है।
चाहे मोंटी कहूं
चाहे खूबसूरती कहूं।
आसपास नहीं है
तुम्हारे जैसी खूबसूरत।
इसलिए हंसाता रहता
तुमको हर पल।
बस देखता रहूं
तुम सामने रहो।
****
कविता - श्रंगार प्रीत रस*
करणीदानसिंह