** करणी दान सिंह राजपूत **
सूरतगढ़ 20 अक्टूबर 2019.
सूरतगढ़ बाईपास के चिपते अत्यंत महत्वपूर्ण कीमती स्थान पर बड़े लोगों की दो आलीशान वीआईपी कॉलोनियों की जमीन की जांच की शिकायत होने के बाद उपखंड अधिकारी सूरतगढ़ को जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
आरोप है कि यह जमीन बीड़ जोड़ पायतन की थी जिसका आवंटन नहीं हो सकता था मगर हेराफेरी करके आवंटन किया गया। सूरतगढ़ के राजस्व तहसीलदार के पास अधिकारिक पावर नहीं होते हुए भी उस जमीन का खातेदारी अधिकार जारी कर दिया।
यह 2 कॉलोनियां निर्माण के समय से ही करीब 15 सालों से चर्चा में रहती आई हैं।
आज से करीब 15 -16 वर्ष पूर्व जब बसंत विहार कॉलोनी का निर्माण शुरू हुआ तब यह तथ्य सामने आया था कि उक्त जमीन तो किसी भी हालत में आवंटित ही नहीं की जा सकती थी। गोलमाल से या भ्रष्टाचार से इस भूमि का आवंटन किया गया और बाद में खातेदारी अधिकार भी दे दिए गए। वीआईपी कॉलोनियां यहां बनाई गई जिसमें वर्तमान में भी आधे भूखंडों पर मकान बने हुए हैं और करीब आधे भूखंड खाली पड़े हैं।
सुखदेव सिंह ने शिकायत कर जांच की मांग की थी। सुखदेव सिंह का आरोप है कि राजस्व तहसीलदार सूरतगढ़ को भूमि का खातेदारी अधिकार देने का कोई अधिकार नहीं था इसके बावजूद उसने किशोरी लाल पुत्र दानाराम माली व अन्य को गलत खातेदारी दी। यह जमीन बाद में बिल्डर्स ने खरीद ली और कालोनियां बना दी गई।
सुखदेव सिंह ने शिकायत की कि खसरा नंबर 12 की 5.022 हेक्टेयर और 5.08 हेक्टेयर भूमि जो आवंटित हुई है उसकी जांच की जाए।
जिला प्रशासन ने उपखंड अधिकारी सूरतगढ़ को जांच करने का आदेश 27 सितंबर 2019 को पत्र के जरिए दिया है। जांच में क्या परिणाम आता है यह आने में महीनों लग सकते हैं।
बसंत विहार और आनंद विहार कालोनियों में बिल्डरों ने भूखंड कर बेचे जिन पर खरीदारों ने अपने ईच्छानुसार निर्माण करवाए। ये निर्माण और खाली भूखंड आगे भी बिकते गए।
बिल्डरों ने भूखंड काट व कुछ सड़कें आदि निर्माण कर नगरपालिका को सौंप दिया था। दोनों कालोनियों में भूखंडों और बनी कोठियों की कीमत शहर से दुगुनी तिगुनी है लेकिन अब अनेक शंकाएं पैदा हो गई हैं, ऐसे हालात में आगे मुंह मांगी कीमतें मिलना मुश्किल होगा। जांच दमदार होती लगी तो कीमतें मिलना छोड़ खरीदार भी नहीं होंगे।
कालोनियों में राजनीतिक लोग पूर्व विधायक, पालिकाध्यक्ष,अधिकारी, सेवानिवृत्त अधिकारी, बडे़ व्यवसायी रहते हैं।
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