मुंबई 19 जून 2019.
महाराष्ट्र विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे के एक बयान से सनसनी मच गई है। शिंदे के मुताबिक पिछले तीन साल में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति इस मामले की जांच करेगी।
मजदूर वर्ग की ज्यादातर महिलाएं शिकार
बुनियादी रूप से यह मुद्दा शिवसेना विधायक नीलम गोर्हे ने विधान परिषद में उठाया था, उन्होंने कहा कि बीड जिले में गन्ने के खेत में काम करने वाली महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिए गए। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि माहवारी के चलते उनके काम में ढिलाई न आए।
निजी अस्पतालों में किए गए ऑपरेशन
बीड जिले के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में गठित समिति ने पाया कि ऐसे ऑपरेशन 2016-17 से 2018-19 के बीच 99 निजी अस्पतालों में किए गए। शिंदे ने सदन को बताया कि जिले में सामान्य प्रसवों की संख्या सिजेरियन की संख्या से कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए, उनमें से कई गन्ना खेत में काम करने वाली मजदूर हैं।
दो महीने में पेश होगी रिपोर्ट
बता दें कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने अप्रैल में इस मामले के सामने आने के बाद राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया था। जांच समिति में 3 गाइनोकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और कुछ महिला विधायक होंगी। समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। राज्य सरकार ने सभी डॉक्टरों को आदेश दिया था कि वे अनावश्यक रूप से गर्भाशय न निकालें।
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