आपातकाल: शांतिभंग में जेलों में बंदियों को भी मिलेगी पेंशन
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से आपातकाल में शांति भंग करने के आरोप में
जेलों में बंद रहे कार्यकर्ता मिले
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि पेंशन वास्ते जो कोई बिंदु छूट गया है उस
पर विचार कर लिया जाएगा
खास रपट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 3 फरवरी 2014. इंदिरागांधी द्वारा 1975 में आपातकाल लागू कर
अनेक लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया था। उनमें मीसा और रासुका
बंदियों को पेंशन देने की घोषणा कर दी गई थी।
आपातकाल में शांतिभंग कानून के तहत भी हजारों लोगों को जेलों में बंद कर
दिया गया था। उनके परिवार भी परेशान हुए व व्यवसाय आदि
बरबाद हो गए थे। अब शांतिभंग के तहत बंदी रहे लोगों को भी पेंशन सुविधा
प्रदान की जाने का बिंदु भी शामिल कर लिया जाएगा।
शांतिभंग में बंदी बनाए लोग यह मांग पिछले सालों से कर रहे थे।
मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में आज कई कार्यकर्ता मिले और इस मांग से अवगत कराया।
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि जो बिंदु छूट गया है उस पर विचार
कर शामिल कर लिया जाएगा।
इस आश्वासन पर प्रतिनिधि मंडल के लोग पूरे आश्वस्त हो गए हैं।
पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा ने दोपहर को यह सूचना मुझे दी और उसके बाद
ईटीवी पर भी यह समाचार रिलीज हुआ है।
( कार्यकर्ता 3 फरवरी 2014 को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित जनसुनवाई में मिले थे)
राजस्थान के हजारों परिवारों को इससे लाभ मिल सकेगा।
सूरतगढ़ से शांति भंग में 12 कार्यकर्ता बंदी बनाए गए।
पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत को श्रीगंगानगर में 30 जुलाई 1975 को पकड़ा गया।
गुरूशरण छाबड़ा जयपुर में रहने लगे थे और अब संसार में नहीं है।
यह समाचार मेरे ब्लॉग www.karnipressindia.com पर लगा था। कौन मिले थे,वे अपना नाम अवश्य बताएं।
3 फरवरी 2014.
अपडेट 29-5-2018.
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