- करणीदानसिंह राजपूत -
श्री गंगानगगर व हनुमानगढ़ की यात्रा में यह क्या बोल गए राहुल बाबा जो शायद किसी भी कांग्रेसी को नहीं सुहाएगा।
राहुल ने कह दिया कि कांग्रेसी नेताओं का लोगों के बीच में रहने व उनके दुखदर्द को सुनने के रिपोर्ट कार्ड पर आगे पद व कार्य सौंपा जाएगा। कांग्रेसी नेताओं के भविष्य का निर्धारण लोगों के बीच में आने जाने,लोगों की तकलीफों को दूर करने के रिपोर्ट कार्ड पर तय होगा। मतलब उस कांग्रेसी नेता को आगे चुनारव में टिकट मिलेगी जो जनता के बीच में रहने वाला होगा। इसे यों भी कहा जा सकता है कि राहुल ने चेतावनी भरा संदेश दिया है कि लोगों दुख दर्द जानने के लिए कोठी बंगले कार एसी छोड़ो और लोगों के बीच में जाकर रहो।
राहुल को पद यात्रा में लोगों के सीधे संवाद में अनेक पीड़ाएं सुनने को मिली औा साथ में यह भी सुनने को मिला कि वर्तमान भाजपा सरकार के राज में उनकी परेशानियां बढ़ी हैं लेकिन कांग्रेसी नेता भी उनके दुख दर्द में भागीदार नहीं है।
लोगों की बात में दम रहा है और तत्कालिक भाषण इसी प्रकार का ही दिया जा सकता था जो राहुल ने दिया।
राहुल ने कांग्रेसी नेताओं को नसीहत तो दी है लेकिन क्या कांग्रेसी नेता इसका पालन कर पाऐंगे या फिर अगले ही दिन भूल जाऐंगे।
कांंग्रेसी नेता दुख दर्द में लोगों के साथ रहते तो राज क्यों जाता और इतने बुरे तरीके से क्यों जाता कि राजस्थान में 200 सीटों में से भाजपा 163 जीत गई और कांग्रेस को 21 सीटों पर ही समेट दिया।
राज बदले हुए डेढ़ साल बीत गया। यह तो कहा जा रहा है कि वसुंधरा राज में लोग बहुत पीडि़त व परेशान हैं लेकिन कांग्रेस के मंत्री,विधायक रहे नेता व राज्य व जिला स्तरीय पदाधिकारियों में से कितनों ने लोगों की पीड़ाओं को सुना व जानना चाहा? उत्तर मिलेगा शून्य।
कांग्रेसी लोगों ने अपने स्वभाव को रत्ती भर नहीं बदला।
भाजपा के राज में जिन भाजपा विधायकों व मंत्रियों पर आरोप लगते रहे हैं या प्रशासन पर आरोप लगते रहे हैं वहां किसी को भी कांग्रेसी नेताओं ने मुद्दा बना कर लड़ाई लडऩे की कोशिश नहीं की।
मुझे एक नारे पर आश्चर्य हो रहा था।
राहुल की पदयात्रा में लोगों के बीच संवाद कार्यक्रम में बार बार नारा लग रहा था।
राहुल तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं।
मतलब कि स्थानीय नेताओं में तो कोई संघर्ष करने के लायक ही नहीं है और स्थानीय नेता संघर्ष करना ही नहीं चाहते।
राहुल को फीड बैक के लिए सूरतगढ़ के सन सिटी रिसोर्ट में बैठक हुई जिसमें केवल चुनिंदा 25 कांग्रेसियों को ही शामिल होने का प्रवेश पत्र दिया गया था।
जहां तक फीड बैक देने का सवाल है। इन कांग्रेसियों ने राहुल को सच्चाई बताई ही नहीं होगी। कौनसा नेता होगा जो कहेगा कि हम लोगों के बीच में गए ही नहीं। केवल राहुल की स्तुति करने का फीड बैक लगा।
पुराने कांग्रेसियों को भीतर प्रवेश की इजाजत नहीं थी। वे बाहर कुनमुना रहे थे। पुराने का मतलब जो विधायक रह चुके एक बार भी नहीं दो बार विधायक रह चुके लोगों को भी प्रवेश पत्र नहीं दिया गया था। आखिर यह सूची किसने बनाई और पुराने कांग्रेसियों को क्यों ठुकराया गया? जब घंटे आध घंटे के लिए पुराने दिग्गज ही नहीं सुहा रहे तो ये जनता को कैसे गले लगा कर रखें।
सूरतगढ़ में राहुल के विचार सुनने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पुहंचने की अपीलें हर नेता ने की और उनके समाचार भी लगवाए। आश्चर्य है कि जब सूरतगढ़ में जन सभा नहीं थी तब यह प्रचार क्यों किया गया? स्पष्ट शब्दों में यह झूठा प्रचार था।
बड़े मजे की एक बात और रही कि पिछले तीन चार दिनों से समाचार दे रहे और राहुल के कसीदे काढ़ रहे मीडिया को भी पास बने होने के बावजूद प्रवेश नहीं दिया गया। राहुल से मिलने के लिए केवल दो मिनट का समय मांगा गया लेकिन राहुल ने मिलने से मना कर दिया।
एक भी नेता ऐसा नहीं रहा जो राहुल के दो मिनट मीडिया को दिला सकता हो। वैसे मीडिया वाले साथियों को भी यह मालूम पडऩा ही चाहिए था जो अनावश्यक कसीदे निकाल रहे थे।
यहां पर मैं एक बात कहना चाह रहा हूं कि राहुल के लिए स्थानीय मीडिया के लिए 2 मिनट का भी समय नहीं है तो वे और कांग्रेसी नेता भली भांति सोच लें कि चुनाव में या अन्य समारोह में या कार्यक्रमों में दिल्ली का मीडिया काम नहीं आएगा। इस इलाके में तो यहां के ही मीडिया वाले काम आऐंगे।
एक और बात कि राहुल जनता के बीच में रहने की बात कह रहे थे।
राहुल के पास में मीडिया वालों के लिए दो मिनट का भी समय नहीं था तब यह कैसे मान लें कि कांग्रेसी नेता रोजाना लोगों के बीच में रह लेंगे।
राहुल की यात्रा की कहानी कितने ही दिन चलेगी और ज्यों ज्यों बातें मालूम होंगी हम पाठकों तक पहुंचाने का पूरा प्रयास करेंगे।