बुधवार, 10 अप्रैल 2024

करणी माता सूरतगढ़ में देशनोक वाली:अद्भुत सिंदूर श्रंगारित शिला प्रतिमा


                                      



           
देशनोक मंदिर वाली माता की अनुकृति:
                  
   विशेष- करणीदानसिंह राजपूत  


 करणी माता मंदिर  फोटो करणीदानसिंह राजपूत

करणी माता-
 इस मंदिर में माता की प्रतिमा देशनोक मंदिर में स्थापित प्रतिमा की अनुकृति है। शिला पर गढ़ी हुई प्रतिमा सिंदूर सजी है, और प्रतिमा के दर्शन से यह आभास होता है मानों देवी मां असीम कृपा दृष्टि से भक्त की ओर देखती हुई आशीर्वाद दे रही है।
  फोटो करणीदानसिंह राजपूत


हवन करते हुए श्रदृधालु
6 मई 2011 को शुभ मुहूर्त में प्रथम पूज्य भगवान गणेश, शिव परिवार, शिव लिंग,राधा कृष्ण, हनुमान, देवियों में लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, संतोषी,शीतला, और काली की प्रतिमाओं की स्थापना की गई। इस शुभ समय पर हवन किया गया जिसमें अनेक श्रद्धालुओं ने देवी देवताओं की कृपा दृष्टि प्राप्त की।

शिवपरिवार व शिव लिंग-फोटो करणीदानसिंह राजपूत

भगवान गणेश माता लक्ष्मी और माता सरस्वती-फोटो करणीदानसिंह राजपूत

माता दुर्गा संतोषी और राधा कृष्ण-फोटो करणीदानसिंह राजपूत

माता शीतला काली हनुमान और मंदिर पर त्रिशूल स्थापना करते श्रदृधालु-
 फोटो करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ, 6 मई 2011. 
अपडेट 10 अप्रैल 2924.

राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के विश्व विख्यात कस्बे सूरतगढ़ में हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर बाई पास पर करणी माता का यह मंदिर। इस मंदिर में माता की प्रतिमा देशनोक मंदिर में स्थापित प्रतिमा की अनुकृति है। शिला पर गढ़ी हुई प्रतिमा सिंदूर सजी है, और प्रतिमा के दर्शन से यह आभास होता है मानों देवी मां असीम कृपा दृष्टि से भक्त की ओर देखती हुई आशीर्वाद दे रही है। 
 श्रद्धालु माता के दर्शन के बाद भैरूंजी के दर्शन करते हैं और उसके बाद सफेद चूहों के दर्शन कर कृपा प्राप्त करते हैं। इस मंदिर में माता करणी के दर्शन और पूजन के लिए हर धर्म संप्रदाय और जाति के श्रद्धालु दूर दूर पहुंचते हैं। अनेक नव विवाहित जोड़े सहित अपने परिवार जनों के साथ पहुंचते हैं। नव रात्रों में हवन और पूजन तथा कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा है।
    वर्षों पहले किसी दृष्टांत से प्रभावित होकर यहां पर करणी माता का चित्र रख कर पूजन अर्चन शुरू किया गया था, और भक्तों के जुड़ाव के साथ ही मंदिर का निर्माण हुआ। इस मंदिर की देखरेख और संचालन राजपूत क्षत्रिय संघ करता है।
श्रद्धालओं की सोच थी कि इस मंदिर में मां करणी के अलावा अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएं। इसके बाद यहां 6 मई 2011 को शुभ मुहूर्त में प्रथम पूज्य भगवान गणेश, शिव परिवार, शिव लिंग,राधा कृष्ण, हनुमान, देवियों में लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, संतोषी,शीतला, और काली की प्रतिमाओं की स्थापना की गई। इस शुभ समय पर हवन किया गया जिसमें अनेक श्रद्धालुओं ने देवी देवताओं की कृपा दृष्टि प्राप्त की। 


  पुजारी भगवती प्रसाद भोजक के अनुसार मंदिर पूजा दर्शन के लिए सुबह 5 बजे से 9 बजे तक और शाम को  4 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता है।

सूरतगढ़ में या समीप के शहर कस्बे में निवास है तो इस मंदिर में स्थापित मां करणी की इस शिला प्रतिमा का दर्शन अवश्य करना चाहिए। शिला पर ऊकेरी हुई प्रतिमाएं प्राचीनता अद्भुत अहसास कराती है। आजकल इस प्रकार की प्रतिमाएं स्थापित नहीं होती। संगमरमर की प्रतिमाएं स्थापित होती हैं।
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करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356

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