कविता
सुहानी तुम्हारा सलोना
- करणीदानसिंह राजपूत
सुहानी तुम्हारा सलोना,
नन्हें नन्हें डग भरने लगा है
आंगन से भी बाहर,
वह निकलने लगा है
तोषु तुम्हारा प्यारा,
दादा दादी का दुलारा
भारत का वह प्यारा,
मुस्कुराते फूल जैसा
पिल्ले के कान खेंचता,
नाचने लगा है
.....सुहानी तुम्हारा
दादा दादी मामा पापा,
तुतलाने लगा है
भुआ फूफा को वह,
पहचान ने लगा है
कुल्फी वाले की घंटी,
वह जानने लगा है
बंदर को देख वह,
खिलखिलाने लगा है
हाथी है उसका प्यारा,
गुब्बारा उड़ाने लगा है
.....सुहानी तुम्हारा
पेड़ पर बैठी चिडिय़ा को,
बुलाने लगा है
फूलों की क्यारी में,
जाने लगा है
डाली को पकड़ते,
कहीं कांटा चुभ ना जाए
कहीं रो ना जाए प्यारा,
यह ध्यान रखना
..... सुहानी तुम्हारा
घर के आगे सड़क कंकरीली,
तोषु के पांव कोमल,
कहीं लग ना जाए कंकर
यह ध्यान रखना
.......................
- करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार,
23, करनाणी धर्मशाला,
सूरतगढ -राजस्थान- 335 804
मो. 94143 81356
सुहानी तुम्हारा सलोना
- करणीदानसिंह राजपूत
सुहानी तुम्हारा सलोना,
नन्हें नन्हें डग भरने लगा है
आंगन से भी बाहर,
वह निकलने लगा है
तोषु तुम्हारा प्यारा,
दादा दादी का दुलारा
भारत का वह प्यारा,
मुस्कुराते फूल जैसा
पिल्ले के कान खेंचता,
नाचने लगा है
.....सुहानी तुम्हारा
दादा दादी मामा पापा,
तुतलाने लगा है
भुआ फूफा को वह,
पहचान ने लगा है
कुल्फी वाले की घंटी,
वह जानने लगा है
बंदर को देख वह,
खिलखिलाने लगा है
हाथी है उसका प्यारा,
गुब्बारा उड़ाने लगा है
.....सुहानी तुम्हारा
पेड़ पर बैठी चिडिय़ा को,
बुलाने लगा है
फूलों की क्यारी में,
जाने लगा है
डाली को पकड़ते,
कहीं कांटा चुभ ना जाए
कहीं रो ना जाए प्यारा,
यह ध्यान रखना
..... सुहानी तुम्हारा
घर के आगे सड़क कंकरीली,
तोषु के पांव कोमल,
कहीं लग ना जाए कंकर
यह ध्यान रखना
.......................
- करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार,
23, करनाणी धर्मशाला,
सूरतगढ -राजस्थान- 335 804
मो. 94143 81356