शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

💐 सूरतगढ़ की सरकार - करणीदानसिंह राजपूत💐

 



*मामूली बरसात में नगरपालिका की पोल खुली* सोशल मीडिया पर सूरतगढ़ बरसात पर खीझ चल रही है। 

नगरपालिका तो संस्था है।

उसकी क्या पोल खुलेगी! 

उसको चलाने वाले 45 पार्षद हैं जिनमें एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष है। 

यही स्थानीय सरकार है। अच्छी है बुरी है सभी के सामने है।

इनमें भाजपा के 12 हैं।

कांग्रेस के 22 हैं।

बसपा 1 है।

माकपा 1 है।

शेष चुनाव में  तो निर्दलीय जीते थे लेकिन अब कहां है? शहरवासियों को मालूम ही है।

अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा हैं जो अपने नाम के शुरू में मास्टर लगाने लगे हैं।

उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी हैं।

विभागों के सही संचालन के लिए पार्षदों की कमेटियां होती है जो डेढ साल बीत जाने पर भी अध्यक्ष जी ने बनाने की जरूरत ही नहीं समझी और किसी ने मांग भी नहीं की। कांग्रेस बहुमत के बोर्ड में यह मांग भाजपा को करनी चाहिए थी लेकिन उनके संगठन में यह काबलियत ही नहीं कि बाहर संगठन और भीतर पार्षद यह दबाव डालते। यह तब हो जब पार्षद और संगठन नगरपालिका के नियमों के जानकार हों। नियम की जानकारी तो नियमों की पुस्तक पढ़ने से आए लेकिन वह कोई पढे तो सही। नगरपालिका में है तो वहां से कोई पढने को मांगता नहीं और संगठन दो तीन हजार रू.खर्च कर मंगवाता नहीं। 

मास्टर को पुस्तक और सभी पाठ पढाने होते हैं लेकिन ये अध्यक्ष मास्टर जी तो एक पाठ भी पढाना नहीं चाहते। सबसे अच्छा है कि पुस्तक के दर्शन ही नहीं कराते। 

यह है नगर की अपनी चुनी सरकार।

बरसात में यह भी हो सकता है कि आपके सवाल पर ही सवाल उठा दिया जाए।

" अच्छा बरसात हुई थी क्या? हमें तो मालूम ही नहीं हुआ। सो रहे थे। आपसे मालुम हुआ है कि बरसात हुई थी। गंदगी के ढेर ,गड्ढों को अनदेखा करते ही रहे हैं तो बरसात होने का इन्कार करना कौनसी बड़ी बात है।

अपनी नगर सरकार के भरोसे रात के अंधेरे में और पानी डूबी सड़कों गलियों में निकलने से बचना। वरना यह भरोसा जिंदगी मौत के संघर्ष में पहुंचा देगा।


जै राम जी की!


करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़।

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