गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

आपातकाल 1975-77 में जेलों में बंद किए गए लोकतंत्र रक्षकों का राजघाट और जंतर मंतर पर मौनधरना.




^ लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान हो तथा केन्द्र एक कानून बनाए*


* करणीदानसिंह राजपूत*

आपातकाल 1975 से 77 तक देश में भयानक अत्याचार हुए हजारों लाखों लोगों को जेल में बंद किया गया अखबारों पर पाबंदियां लगाई गई। उस समय विरोध करने वालों को भी जेलों में ठूंस दिया गया था।

मिसा,रासुका,सीआरपीसी धाराओं 107,151,116  व विभिन्न कानूनों में महीनों तक लोग जेलों में बंद रहे। सब कुछ अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई थी। 

गैर कांग्रेसी सरकारों द्वारा ऐसे लोकतंत्र सेनानियों को कुछ राज्यों में सम्मान निधि और सम्मान प्रदान किया गया। जहां पर कांग्रेस दुबारा आई वहां फिर यह सम्मान छीन लिया गया और सम्मान निधि बंद कर दी गई।

राजस्थान में भी विजय राजे सिंधिया के मुख्यमंत्री काल में सम्मान निधि और सम्मान प्रदान किया गया जो अशोक गहलोत की सरकार आते ही 16 अक्टूबर 2019 से बंद कर दिया गया। 

संपूर्ण देश में आपातकाल का विरोध किया गया था। सारे देश से अब एक मांग उठी है के आपातकाल का विरोध करने वाले सत्याग्रह और जेल में बंद रखे गए लोगों को लोकतंत्र सेनानी सम्मान और सुविधाएं प्रदान की जाए और इन लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानियों के समकक्ष दर्जा दिया जाए।

अखिल भारतीय लोकतंत्र सेनानी संयुक्त समिति की ओर से इस मांग को लेकर 4 दिसंबर 2019 को राजघाट पर मौन प्रदर्शन धरना दिया गया और 5 दिसंबर को जंतर मंतर पर 1 दिन का उपवास रखते हुए धरना दिया गया है।क

लोकतंत्र सेनानियों की मांग है कि केंद्रीय सरकार की ओर से सारे देश में एक कानून बनाकर समस्त जगह एक जैसी सुविधाएं प्रदान की जाए और जो बार-बार बंद नहीं हो।लोकतंत्र सेनानियों की यह मांग भी है कि सांसद गण महत्वपूर्ण विषय पर लोकसभा राज्यसभा में विधेयक लाएं और कानून बनाएं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और  गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी यह मांग की गई है कि वे आपातकाल में जो लोग जेलों में बंद रहे आपातकाल का विरोध किया वे लोग आज 70,80, 90, 95 साल के उम्र तक हैं,अत्यंत वृद्ध हो चुके हैं,इसलिए उन्हें हर तरह से सम्मानित किया जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल लगाए जाने वाले दिन26 जून 1975 को काला दिवस बताते हुए 26 जून 2019 को लोकसभा में अपना भाषण दिया था जिसमें कहा था कि आपातकाल में जिन लोगों ने कुर्बानियां दी उन लोगों के कारण ही आज लोकतंत्र बचा हुआ है। ऐसे लोगों का सम्मान किया जाना चाहिए।०० 

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