गुरुवार, 11 जनवरी 2018

सूरतगढ़:ग्रामीण प्राइवेट बसों में टिकट नहीं-मर्जी का किराया,समय व रूट

- करणीदान सिंह राजपूत -

सूरतगढ़ से चलने वाली ग्रामीण प्राइवेट बसों में काफी समय से टिकट नहीं दिए जा रहे हैं। बसों का चलने का कोई समय निश्चित नहीं। जो समय बताया जाता है उसके बाद चलती है। बस अड्डे के बाहर निकल कर रुक जाती है फिर सड़क पर रुक जाती है और आगे धीमे धीमे चलती है।जिन लोगों को समय पर अपने अपने गांव पहुंचना होता है वे परेशानहोते हैं और आगे लिंक नहीं मिल पाते। बस संचालकों का किराया भी मन माना है इसलिए टिकट नहीं देते। दुर्घटना होने पर मालूम नहीं पड़ेगा कि कौन सवारी थी या कौन नहीं थी।बसों पर बसों के भीतर रूट चार्ट और किराया सूची लगाई जाने अनिवार्य होती है मगर वह नहीं है। एक परिचालक के रूप में यात्रियों से रूपये वसूल करते युवक से पूछा गया तो जवाब मिला कि टिकटें छपवाई ही नहीं। कमाल कारण लापरवाही भरा जवाब था।

यह सब परिवहन विभाग की मिलीभगत से ही संभव है कि बिना टिकट दिए ही बसें संचालित की जा रही है। प्रत्येक टिकट पर बस नंबर छपा होना अनिवार्य है। 

यह बड़ा घोटाला/ भ्रष्टाचार है। बिना टिकट संचालित हो रही बसों को सीज कर थाने में लगाया जाना चाहिए।

किस ग्रामीण रूट पर कितनी बसें हैं और उनका समय क्या है और क्या सभी बसें चल रही है। कम बसें संचालित कर यात्रियों को क्षमता से दुगना ठूंसा जाता है।

 ड्राइवर और कंडक्टर बस को लगाकर बाहर चाय की दुकानों पर बैठ जाते हैं। बस के अंदर बस के चलने का समय बताने वाला कोई नहीं होता कि बस कितने बजे चलेगी बस के ड्राइवर और कंडक्टर की कोई ड्रेस नहीं जिससे मालूम पड़ेगी बस का ड्राइवर कंडक्टर कौन है। जब बसों में क्षमता से अधिक यात्री भर जाते हैं तब रवाना की जाती है।

ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इसकी शिकायत प्रशासन से करनी चाहिए और तुरंत ही इलाके के सरपंच व ग्रामीण सचिव से भी लिखित में दें ताकि यह भ्रष्टाचार रुक सके।

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