गुरुवार, 29 जून 2017

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट व सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया

 _ करणीदानसिंह राजपूत  _


आनंदपाल के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के मामले में गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया सो रहे थे और जागती हुई मुख्यमंत्री  वसुंधरा राजे तथा पुलिस प्रशासन के एनकाउंटर विशेषज्ञों के द्वारा इन काउंटर मामलों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का पालन नहीं किया गया।

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस अधिकारियों के कसीदे काढे जा रहे हैं। कितने ही प्रकार के खिताब दिए जा रहे हैं। उन स्पेशलिस्ट पुलिस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्णय का तो मालूम होना ही चाहिए था। राजस्थान सरकार, राजस्थान सरकार का गृह मंत्रालय और पुलिस प्रशासन इस मामले में सभी कटघरे में हैं कि आनंदपाल के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उसका पोस्टमार्टम क्यों नहीं करवाया गया?

यह मामूली बात नहीं कही जा सकती और न टाली जा सकती है।

 इतनी बड़ी गंभीर बात को सरकार ने टाला है तो निश्चित रुप से इसमें बहुत बड़े घपले का, सच छुपाने का राज संभावित है।

 सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार पुलिस एनकाउंटर के मामले में पोस्टमार्टम जिला चिकित्सालय में करवाया जाए। दो चिकित्साधिकारी पोस्टमार्टम करेंगे जिनमें एक संभव होतो जिला चिकित्सालय का प्रभारी/या मुख्य हो। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी हो और सुरक्षित रखी जाए। 

अगर ऐसा नहीं हो, पुलिस ऐसा नहीं करवाए तब एनकाउंटर से संबंधित पीड़ित परिवार सेशन न्यायालय में अपना आवेदन कर सकता है और सेशन न्यायालय आगे की कार्यवाही करेगा।

राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री एनकाउंटर के समय जाग रही थी और उसने सोते हुए गृहमंत्री को जगवा कर आनंदपाल के इनकाउंटर में मारे जाने की बधाई दी।


आनंदपाल  अपराध के आरोपों के मुकदमों में फंसा हुआ था लेकिन एनकाउंटर के बाद उसका पोस्टमार्टम तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ही किया जाना चाहिए था।


आनंदपाल  अपराधों के आरोपों में घिरा हुआ था लेकिन राजस्थान सरकार तो अपराधी नहीं,सच्ची है। मुख्यमंत्री और गृह मंत्री सच्चे हैं तब उनको कानून का पालन करने में हिचक क्यों रही? 

गृह मंत्री ना जाने कितनी बार वक्तव्य दे चुके हैं कि कानून अपना काम करेगा, कानून ने अपना काम किया है,कानून अपना काम आगे करता रहेगा। 

 गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया  से एक बहुत बड़ा सवाल है कि आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर प्रकरण में कानून ने अपना काम क्यों नहीं किया? 

आनंदपालसिंह के एनकाउंटर के बाद पोस्टमार्टम कराने में पुलिस अधिकारियों की मनमर्जी कैसे चलाई गई?


 आनंदपाल का पोस्टमार्टम जिला चिकित्सालय चूरू में कराने के बजाए रतनगढ़ के सामुदायिक चिकित्सालय में क्यों करवाया गया?

सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों निर्णयों के अनुरूप कार्यवाही नहीं किए जाने पर जो पुलिस प्रशासन के अधिकारी दोषी हैं उनके विरुद्ध राजस्थान सरकार क्या कार्यवाही करेगी?

आनंदपाल सिंह तो एक कमरे में पुलिस के सैंकड़ों जवानों के घेरे में था तब अमावस की रात के अंधेरे में ही इन काउंटर जरूरी क्यों समझा गया जिसमें पुलिसकर्मियों को भी खतरे में डाला गया। रात के 5-7 घंटे ही बिताने थे,आगे की कार्यवाही सुबह की जा सकती थी जो अधिक सुरक्षित होती और पुलिसकर्मियों पर खतरा नहीं होता। आखिर क्या कारण रहे हैं?यह सब राज है?

इंग्लिश कोई कार्यवाही करती है तो अपने उचा दायक उच्चाधिकारी को सबसे पहले अवगत कराते हैं।दिशा-निर्देश लेते हैं।

इस मामले में गृह मंत्री को किसी प्रकार की सूचना पूर्व में नहीं दी गई और एनकाउंटर के बाद भी गृह मंत्री को सबसे पहले अवगत कराया जाना चाहिए था जो नहीं कराया गया। आखिर क्या कारण रहा है कि गृह मंत्री को अवगत नहीं करा कर सबसे पहले सूचना मुख्यमंत्री को दी गई?

 जिस अधिकारी ने मुख्यमंत्री को यह सूचना दी ,इन काउंटर से लेकर मुख्यमंत्री को सूचना देने वाले अधिकारी तक कोई कड़ी भी बनी होगी?लेकिन इसमें कुछ राज की आशंका तो है।

आनंद सिंह जब फरारी में था तब आरोप लग रहे थे कि उसे बड़े-बड़े सत्ताधारी राजनीतिज्ञों का संरक्षण मिला हुआ है। क्या आनंद सिंह को इसलिए मारना जरूरी था कि उन सत्ताधारी  राजनीतिज्ञों के चेहरे कभी भी सामने न आ सकें? लेकिन इस प्रकरण में आनंदपाल सिंह अकेला ही मारा गया है। उसके दो भाई जीवित हैं जो बहुत कुछ राज खोल सकते हैं। सच्चाई सामने आ सकती है। जिन लोगों के नाम अभी तक सामने नहीं आए वे नाम सामने आ सकते हैं इसलिए CBI जांच की आवश्यकता है।  यह मांग पूरे राजस्थान से उठ रही है इस मांग को पूरा किया जाना चाहिए। राजस्थान सरकार व  राजस्थान का पुलिस प्रशासन दोषी नहीं है तो उसे सीबीआई जांच का डर क्यों है?


(यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश फोटो दिया जा रहा है)




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