शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

सूरतगढ़ में गोयल कॉम्लेक्स दुकानों का निर्माण अवैध: पालिकाध्यक्ष काजल छाबड़ा का नाम घपले में क्यों आने लगा?


पालिकाध्यक्ष काजल छाबड़ा के नाम एक दुकान के तीन हिस्सों में से एक रजिस्ट्र्ड हिस्सा होने से ही -इसका अवैध निर्माण सीज नहीं हुआ? जबकि  करणी प्रेस इंडिया में निर्माण के दौरान ही समाचार छप गये थे। अब सारा निर्माण हो चुका है तथा सभी में शो रूम वह दुकानें चल रही हैं।

- करणीदानसिंह राजपूत -


सूरतगढ़ 4 अक्टूबर 2016.



अपडेट 14 जुलाई 2017.



गोयल कॉम्लेक्स दुकानों के अवैध निर्माण में पालिकाध्यक्ष काजल छाबड़ा का नाम क्यों आने लगा है? मुख्य बाजार में इस निर्माण में एक



नहीं कई  घपले हैं और सड़क की करोड़ों रूपए की जमीन हथिया ली जाने के बाद अब फुटपाथ भी नहीं छोड़ा गया । इस घोटाले में  इसका निर्माण नहीं रोका जाना और निर्माण को सीज नहीं किया जाना एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। इस निर्माण को काजल छाबड़ा की अध्यक्षता में इस तरह से बेरोकटोक बनवाया जा रहा  मानों काजल छाबड़ा का खुद का कोई हिस्सा हो? ( यह सच है)जो भी घपला है वह सामने तो आकर रहेगा। यह घपला जिस तरह से किया गया है उससे तो पालिकाध्यक्ष का पद भी खतरे में पड़ सकता है और पालिकाध्यक्ष सस्पैंड तक हो सकती है। आखिर पालिकाध्यक्ष की कोई जिम्मेदारी होती है।

इस जगह का एक पट्टा यहां पर एक बार फिर दे रहे हैं। यह पहले कई बार छापा जा चुका है। महाजन डेरे के नाम से यह भूखंड था।

इसमें से आधा हिस्सा श्रीमती गोयल व आधा  डागा ने खरीदा। गोयल व डागा दोनों सड़क की तरफ करीब 10 फुट आगे बढ़ गए। इनको सड़क की भूमि खांचा भूमि के नाम से भी किसने दी? सड़क की जमीन तो किसी भी रूप में दी ही नहीं जा सकती। अब देखिए कि जहां इनकी आगे बढ़ी हुई दुकानें थी उसके आगे पुुटपाथ पर पेडिय़ां बना दी गई है। मतलब की सड़क को और अधिक कब्जे में ले लिया गया है। पालिकाध्यक्ष का इसमें हिस्सा है तभी तो पालिका की ओर से सीज नहीं किया गया।

 

श्रीमती काजल छाबड़ा पर पद से सस्पेंड होने तथा मुकदमे का खतरा इस अवैध निर्माण को लेकर पैदा हो गया है कोई भी व्यक्ति या दल इस अवैध निर्माण को लेकर कार्यवाही कर सकता है।

 राजनैतिक दलों के मुखिया कार्यकर्ता, वह लोग जो आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, वह लोग तथा संगठन जो अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर प्रशासनिक कार्यालयों के आगे धरणा व प्रदर्शन करते हैं उन सबके चेहरे अवैध निर्माणों पर सीधी कार्यवाही नहीं करने से बेनकाब हो रहे हैं । मुख्य मार्गों पर होते अवैध निर्माण प्रभावशाली लोगों के निर्माण राजनीतिक दलों के मुखिया व कार्यकर्ताओं को दिखाई नहीं पड़ते हैं तो यह मानकर चलना चाहिए कि वह भी भ्रष्टाचार के बढ़ावे में कहीं ना कहीं शामिल है या शह दे रहे हैं।

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