रविवार, 26 अप्रैल 2015

हाई मास्ट टावर हादसे की पुलिस में एफआइआर क्यों नहीं करवाई गई?


पुलिस से क्यों छुपाया जा रहा है हादसा जिसमें भारी नुकसान हुआ।
साधारण घटना थी या गड़बड़ या निर्माण में घोटाला? पुलिस जांच में हो जाता खुलासा।
विशेष- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़। नगरपालिका के स्टेडियम में 30 मार्च शाम को हाई मास्ट लाईट का विशाल लम्बाई वाला टावर गिरा और 33 हजार केवी बिजली लाइन पर जा गिरा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा इसी स्टेडियम में 19 फरवरी को हुई थी। इस टावर के गिरने से बिजली लाइन की मीनारें भी टेढ़ी हो गई व उनके तार बस्तियों के घरों पर गिर पढ़ते तो हादसा कितना भयंकर होता। उसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। बड़े अखबारों ने केवल इतना लिखा कि हादसा टल गया। मौके पर जो हालात से उनको देखने की और देखा तो छापा नहीं। नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी से सहानुभूति रखी। वर्तमान में जो अधिशाषी अधिकारी कार्यवाहक बने हुए हैं वही यहां पर इंजीनियर हें और उनकी देखरेख में ही निर्माण होते रहे हें तथा घटिया और घोटालों के आरोप लगते रहे हैं।
टावर का जो आधार फाऊंडेशन सीमेंट कंक्रीट का बनाया गया वह मौके पर घटिया लग रहा था। धूल कंकड़ दिखाई दे रही थी और 


पलस्तर तक नहीं था। टावर फांऊडेशन के बोल्ट के कितने नट गायब थे या नहीं लगे थे? इन सभी का खुलासा पुलिस जांच में प्रयोगशाला में जांच करवाने से होता। लेकिन बड़े नुकसान के होते हुए भी अधिशाषी अधिकारी ने इसकी रिपोर्ट पुलिस में नहीं दी। नगर पालिका को बड़ा नुकसान हुआ लेकिन बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा ने भी इसे पुलिस को नहीं सौंपा।
यहां पर फांऊडेशन और लाइट की टूट की तस्वीरें दे रहे हैं। देखें कि किस प्रकार का निर्माण हुआ था?


लाइट की टूट



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