शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

कांग्रेस लुंज पुंज हो जाएगी लोकसभा चुनाव के बाद


- करणीदानसिंह राजपूत-

भाजपा और मोदी। मोदी और भाजपा।
दोनों ही आक्रामक है। जब जब ऐसी स्थितियां इतिहास में आई हैं तब तब आक्रामक की फतह यानि कि जीत हुई है। आक्रामक पूरे जोश में होता है तथा बचाव का रूख अपनाते हुए युद्ध करने वाला कमजोर होता है।
यह हालत लोकसभा के वर्तमान चुनाव युद्ध में दृष्टिगोचर हो रही है।
मोदी की ललकार के आगे राहुल का जवाब मिमयाता हुआ सा लग रहा है। एक दिन में यह नतीजा नहीं निकाला गया है। कई दिनों से चैनलों पर मोदी का आक्रामण शेर का शिकार पर होता है वैसा लग रहा है। राहुल के जवाब में ललकार नहीं मिलती। राहुल की आवाज खरखराहट से भरी हुई दबी दबी सी लगती है।
राहुल की आवाज से यह मतलब निकलता सा लगता है कि...मैं अकेला लड़ तो रहा हूं...आखिर कितना लड़ूं...बाकी ने तो मलाई खा खाकर स्वास्थ्य को इतना बेकार कर लिया है कि लडऩे के काबिल ही नहीं रहे हैं।
सच तो यह है कि जब सामने पराजय नजर आने लगे तो हालत ऐसी हो ही जाती है। राहुल को साफ साफ पराजय दिखाई पडऩे लगी है। लेकिन चुनाव का युद्ध तो लडऩा ही होगा। उससे भाग कर भी कहां जाऐं?
राहुल ने अभी कुछ दिन पहले रेलवे के कुलियों से,मजदूरों से,खान मजदूरों से,कहीं किसानों से बात की है। कांग्रेस नें उसका लाइव प्रसारण करवाया। जिन लोगों ने भी देखा। वे सभी मेरे दावे की सत्यता की पुष्टि करेंगे।
एक छोटा बच्चा जैसे अपने बाप या दादा से बार बार पूछता है यह क्या है?
वह बार बार जवाब देता है कि यह कौवा है....यह कौवा है....यह कौवा है..।
यहां इस उदाहरण को देने का मतलब है।
बेचारे राहुल...कांग्रेेस के उपाध्यक्ष। इतने अनजान बन पूछ रहे थे मानो उनको सच्च में ही मालूम नहीं कि भारत में गरीबों की मजदूरों की यह दुर्दशा है कि उनके पास खाने को आज भी दो वक्त का अनाज नहीं होता। उनके पास रहने को मकान नहीं है। उनके बच्चे आज भी स्कूलों में नहीं जाते। उनके पास चिकित्सा के लिए भी दो पैसे नहीं है।
यह सब सच्च है। यह सारा सच्च सामने आ रहा है तो यह भी सच सामने आ रहा होगा कि आजादी के इतने साल बाद भी भारत में ऐसे हालात क्यों हैं?
देश में राज तो सबसे ज्यादा कांग्रेस का ही रहा था। कांग्रेस में भी राज जवाहर लाल नेहरू का,इंदिरा गांधी का, राजीव गांधी का रहा। कौन थे ये लोग? राहुल गांधी के क्या लगते थे?
अब राहुल के मिमियाते बयानों से जर जर बीमार हुई कांग्रेस ठीक होने वाली नहीं है।


यह रपट दिनांक  29~3~2014  को लिखी गई थी।
अपडेट 28-7-2017.

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