बुधवार, 26 नवंबर 2025

संस्थाओं का दुरूपयोग किया जाना खतरनाक- विधायक गेदर संविधान दिवस कार्यक्रम.

* करणी प्रेस इंडिया *

दिनांक 26 नवंबर 2025. 

अंबेडकर भवन सूरतगढ़ में संविधान दिवस के उपलक्ष्य में एक प्रेरणादायी एवं सारगर्भित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत का संविधान प्रत्येक नागरिको समानता, स्वतंत्रता और न्याय प्रदान करने वाला सर्वोच्च दस्तावेज है। इसके मुख्य शिल्पकार डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों, संघर्ष और देशहित में किए गए योगदान को स्मरण करते हुए कार्यक्रम संपन्न हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक डूंगरराम गेदर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का संविधान मानव अधिकारों, सामाजिक न्याय, समान अवसर, पर्यावरण संरक्षण, यहाँ तक कि जीव-जंतु एवं पशु-पक्षियों की सुरक्षा जैसे व्यापक प्रावधानों से समृद्ध है।

उन्होंने कहा कि किसी देश का संविधान कितना ही उत्कृष्ट क्यों न हो, यदि उसे लागू करने वालों की नीयत सही नहीं है तो वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकता। वहीं किसी देश का संविधान कमजोर होने पर भी यदि उसे लागू करने वालों की नीयत अच्छी है, तो वह सर्वोत्तम सिद्ध हो सकता है।

आज संविधान लागू करने वाले ही उसकी मूल भावना से भटक रहे हैं। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है, जो हमारे लोकतांत्रिक देश के भविष्य के लिए एक गंभीर खतरा है।

उन्होंने युवाओं में बढ़ती विचारहीनता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि युवाओं और समाज के सभी वर्गों को किताबों, महापुरुषों के विचारों और संविधानिक मूल्यों से जोड़ने की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि बदलाव की शुरुआत विचारों से होती है, इसलिए परिवार, समाज और संस्थाओं में अच्छे विचार साझा करने की संस्कृति विकसित करनी चाहिए। 

कार्यक्रम अध्यक्ष, श्री इंद्राज चेतीवाल सेवानिवृत प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ़ ने अपने वक्तव्य में डॉ. अंबेडकर के संघर्षपूर्ण विद्यार्थी जीवन और उल्लेखनीय बौद्धिक उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने कठिन परिस्थितियों में विदेशों से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से स्कॉलरशिप प्राप्त कर विश्वस्तरीय अध्ययन किया। आगे उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने संविधान रचना में जो दृष्टि, गहराई और व्यापकता लाई, वही आज भारत के लोकतंत्र की मजबूती का आधार है।

 पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका परसराम भाटिया ने कहा कि डॉ. अंबेडकर केवल संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि करोड़ों वंचितों के लिए आशा और सम्मान के प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब के विचार आज भी सामाजिक न्याय, शिक्षा और समान अवसर के मार्गदर्शक बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि अंबेडकर जी का जीवन संदेश देता है कि ज्ञान, संघर्ष और कर्तव्यनिष्ठा से ही समाज में परिवर्तन संभव है।

कार्यक्रम में डॉ. सुरेश परिहार, बाबूलाल पिपलवा, नथूराम कलवासिया एवं बलराम कुक्कड़वाल ने अपने विचार प्रस्तुत रखे।

इस अवसर पर जेपी गहलोत, कमलेश मीणा, अनिल रोकणा, अमर सिंह राठौड़, जीतराम चिनियां, हरचंद लुढीयान, अक्षर नायक, मनीष खोरवाल, रामअवध सिंह यादव, अंग्रेज सिंह ढिल्लो, रामचन्द्र सांसी, मालाराम सांसी, साहिल गेदर, रमेश पन्नू, गोपाल आसेरी, आदराम दंगल, भागीरथ, मनीष नदीवाल, कालू प्रधान, सोनू बिरट, सुनिल बौद्ध, इंद्राज कालवा, मनोहर नायक, दलीप घोड़ेला तथा हीरालाल बिरट सहित अनेक कार्यकर्ता एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने संविधान के मूल्यों को जीवन में अपनाने और सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने का संकल्प लिया।०0०












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