़ करणीदानसिंह राजपूत ़
सूरतगढ़ में राजनैतिक पार्टियों के नेता नेतियां राज्य मंत्री, विधायक,सांसद,पंचायत समिति प्रधान नगरपालिका अध्यक्ष आदि बने,चुनाव लड़े,जीते हारे लेकिन उनमें लीडरशिप नहीं थी। भादू बंधुओं मनफूलसिंह भादू राजस्थान में उपमंत्री बने,अनेक बार सांसद बने और
बीरबल भादू 30-40 साल तक पंचायत समिति सूरतगढ़ के प्रधान रहे लेकिन लोग मानते हैं कि राजनैतिक लीडरशिप उनमे नहीं थी। लीडरशिप एक गुण होता है जो इनमें नहीं था। अच्छे और बुरे में जो कुछ करे वह लीडरशिप गुण वाला। अच्छे बुरे में जो अपना नहीं सोचे,घाटे नफे यानि लाभ हानि का नहीं सोचे और घर से निकल कर लोगों के बीच में खड़ा हो जाए। जनता की परेशानियों में साथी बने। ये गुण लीडरशिप में माने जाते हैं। केवल नारे लगाने भाषण देने आदि में आगे रहने वाले को भी लीडरशिप वाली मान्यता नहीं दी जा सकती।
* राजनैतिक वरिष्ठ सोच समझ रखने वाले जो अपनी बातचीत प्रभावी ढंग से कहते हैं वे लीडरशिप के गुण वाले नाम भी लेते हैं। सूरतगढ़ क्षेत्र में लीडरशिप गुणों वाले तीन नाम सामने आते हैं जिन्होंने जनता की पीड़ाओं में दिन रात कभी अपना नहीं समझा। ये नाम हैं गुरूशरण छाबड़ा, सरदार हरचंद सिंह सिद्धु और बलराम वर्मा।
* गुरूशरण छाबड़ा अब संसार में नहीं है। हमेशा पीड़ित के साथ रहे। सन् 1077 में सूरतगढ़ से विधायक चुने गये थे। ईमानदारी में कोई मिसाल नहीं। सख्ती में कोई मिसाल नहीं। आज हर ओर उनका उदाहरण दिया जाता है।
* सरदार हरचंद सिंह सिद्धु वरिष्ठ वकील हैं। अनुमान कि सिद्धु ने सन् 1958 के लगभग सूरतगढ़ में वकालत शुरू की और यहां के निवासी बने।पीलीबंगा से 2 बार विधायक चुने गये। पहली बार लोकदल से जनता पार्टी के टिकट पर सन् 1977 में विधायक चुने गये जब गुरूशरण छाबड़ा सूरतगढ़ से चुने गये थे। पीलीबंगा से दूसरी बार कांग्रेस टिकट पर सन् 1998 में विधायक चुने गये। पीलीबंगा से दो बार विधानसभा चुनाव हारने वाले भी रहे। इनमें लीडरशिप के गुण रहे और कभी अपने नुकसान की नहीं सोची और जन संघर्ष में अनेक मुकदमें भी झेले। अब करीब 87 वर्ष की उम्र में हैं और सक्रिय राजनीति से दूर हैं।
*** लीडरशिप के भरपूर गुणों वाला एक प्रसिद्ध नाम है बलराम वर्मा जो अभी भी हर संघर्ष परेशानियों में पीड़ित लोगों के साथ खड़े होते हैं। आश्चर्य जनक यह है कि लोग झगड़ों विवादों में इनसे पंचायती कराते हैं। इनके घर आंगन में पंचायती कराने वाले सुबह आने शुरू हो जाते हैं। हर महीने पांच सात पंचायती तो जरूर हो जाती है। बलराम वर्मा के साथ करीब 45 वर्षों का राजनैतिक इतिहास है।
वर्मा छात्र दिनों से ही संघर्षों में जूझने लगे और अभी भी जनता के मजदूर किसान व्यापारी,नौजवानों के साथ खड़े हैं। कालेज आंदोलन, थर्मल,सिंचाई पानी,सूरतगढ़ फार्म,जिला बनाओ आदि अनेक आंदोलनों का इतिहास रहा है। अनेक चुनावों का अनुभव है। सूरतगढ़ नगरपालिका पार्षद रह चुके हैं।(वर्मा के पुत्र और पुत्र वधु भी पार्षद रह चुके हैं।) वर्मा रामपुरा पंचायत से सरपंच रह चुके हैं। सन 2003 में विधानसभा चुनाव पीलीबंगा सीट पर 18 हजार वोट और सूरतगढ़ सीट पर 40 हजार वोट मिलने का रिकॉर्ड रहा है।
अशोक गहलोत सन 2004 के लोकसभा चुनाव में बलराम वर्मा के घर आए और आग्रह करके कांग्रेस में शामिल किया। आज भी सूरतगढ़ से जिला और प्रदेश राजधानी जयपुर तक संपर्क हैं जिनका लाभ पीड़ित लोगों की समस्याओं को समाधान कराने में इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न राजनैतिक विचारधारा वाले सूरतगढ़ में
वर्तमान समय में सक्रिय लीडरशिप में बलराम वर्मा का नाम है। सूरतगढ़ शहर और सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के चहुंमुखी विकास में लीडर बलराम वर्मा की लीडरशिप का लाभ उठाया जा सकता है।०0०
26 नवंबर 2026.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 62 वां वर्ष,
(राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत आजीवन)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356.
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