नेता है तो आंखे बंद गूंगा बहरा बना कैसे रह सकता है!
* करणीदानसिंह राजपूत *
सब देखते हुए भी कोई गूंगा बहरा और आंखे बंद कर पड़ा रहे और कुछ न लिखे न बोले तो वह नेता कैसे हो सकता है?
👍 100 घटनाएं हो जाएं और केवल एक या दो पर ही बोले तो वह नेता कैसे हो सकता है?
👍 100 भ्रष्टाचार हो जाएं और केवल एक या दो पर ही लिखे बोले तो वह नेता कैसे हो सकता है?
👍 देश में राज्यों में अपने शहर या अपने गांव में कहीं अव्यवस्था हो लोग परेशान हों और उन पर न बोले न लिखे तो वह नेता कैसे हो सकता है?
👍 घटनाएं होती रहें, समस्याएं भी आती रहें लोग परेशान होते रहें। जनता के बीच में न रहे। फोन करने पर धार्मिक यात्रा या पर्यटन पर बाहर होने का उत्तर मिले। ऐसा सदाचारी चुनाव के दिनों में लोगों के बीच में आए, भाई बहन बेटा बन भ्रमित करे। दिन रात हर वक्त हाजिर होने का वादा करे तो वह भी नेता कैसे हो सकता है?
* ऐसे लोग चाहे नर हो या नारी हो वे नेता नेती नहीं हो सकते। ऐसे लोग नाटक करने वाले होते हैं। ऐसे लोग बहरूपिये कहे जा सकते हैं।
** यही हालत पत्रकारिता क्षेत्र में भी है। पत्रकार है तो आंखे बंद गूंगा बहरा बना कैसे रह सकता है!
6 अक्टूबर 2024.
* करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 60 वर्ष,
( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ ( राजस्थान )
94143 81356
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