सोमवार, 2 अक्तूबर 2023

बिना नौकरी बिना संविदा सरकारी दफ्तरों में काम करवाना / करना गैरकानूनी।

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सरकारी दफ्तरों में बिना नौकरी बिना संविदा के किसी को किसी भी प्रकार के काम कराना सरकारी रिकार्ड फाईलों को लिखवाना तैयार करना गैरकानूनी है जिसमें अधिकारी प्रभारी तो अपराध में फंसता है, करने वाला भी फंसता है।


 अधिकारी बोर्ड आदि के अध्यक्ष/ अधिकारी उचंती रख लोगों से पैसे लेने की छूट दे देते हैं। सरकारी दफ्तरों में जहां सीसीटीवी लगे हैं वहां तो प्रमाण भी पक्का मिल जाता है। जहां कैमरे नहीं वहां फाईलों में हैंडराइटिंग से पकड़ में आता है। 

 ऐसे काम में लगे लोगों को मामूली सी शिकायत ही पकड़वा सकती है और कार्यालय का अधिकारी भी लपेटे में आ सकता है। 

चुनाव आचार संहिता लगने के दो चार दिन पहले भी अनेक गैरकानूनी काम संविदा पर नौकरी लगाने,पदोन्नति देने आदि के होते हैं। जिस कार्यालय से सेवानिवृत्ति और उसी में गैरकानूनी रूप से संविदा पर नियुक्ति आदि भी होते हैं। कौन देखता है? कौन देखेगा? यह सोच पुलिस मुकदमों में या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में फंसाती है।

एक उदाहरण:

नगरपालिका सूरतगढ का सीवरेज भ्रष्टाचार जिसमें ओमप्रकाश कालवा द्वारा 1 करोड़ 45 लाख का अवैध भुगतान का और उसमें कालवा का अध्यक्ष पद व पार्षद से निलंबन पढा होगा या सुना होगा। कालवा की यह फाईल लोगों ने खुलवा ली। कालवा ने तो सोचा नहीं था कि कोई कभी फाईल देखेगा? कब किसकी फाईल खुल जाए कब कोई पकड़ में लपेटे में आए मालुम नहीं होता। सब अचानक हो जाता है।

अधिकारी हैं तो अपने दफ्तर को संभाले निरीक्षण करें कि कोई उचंती लगा हुआ फाईलों को तैयार कर रहा है क्या? यदि ऐसा जांच में पकड़ा गया तो अधिकारी अपने को बचा नहीं पाएगा। अधिकारी सावधान रहें और रोजाना दफ्तर संभालें। नेताओं को खुश करने में अपनी नौकरी खतरे में डालने से बचें।०0०

करणीदानसिंह राजपूत

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान)

94143 81356.

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