शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

पूजा छाबड़ा का मान बढा कद ऊंचा हुआ. सूरतगढ जिले की मांग सरकार तक पहुंची.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


पूजा छाबड़ा के मरणव्रत ने  सूरतगढ को जिला बनाने के अभियान को आवाज दी और इलाके की आवाज को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार तक पूरी गंभीरता से पहुचाया।


सूरतगढ जिला बनने का श्रेय पूजा के नाम को ही जाएगा। सूरतगढ जिला बनाओ अभियान 

निर्जीव सा पड़ा था। किसी भी राजनीतिक दल का नेता यह काम अपने हाथ में भी लेने को तैयार नहीं था तब 21 मार्च 2023 को मरणव्रत शुरू कर पूजा ने अपनी जान दांव पर लगाकर इस अभियान में जान डाली। अभियान पूरा सुस्ती में रहा और 17 मार्च 2023 को 19 नये जिलों और 3 नये संभागों की घोषणा होने के बाद होश आया। इसके बाद सरकार तक आवाज पहुंचाना जब कोई उम्मीद नहीं हो बड़े नेता बातों के हों आवाज केवल दिखावटी कागजी हो उस हालात में मरने को बैठना ही वह जन आवाज फैल रही है। जिला बनने का श्रेय पूजा को ही रहेगा। पूजा के मरणव्रत ने सूरतगढ से जयपुर तक सरकार की घंटी बजा दी और सीएमओ रिपोर्ट लेने लगा कि पूजा के स्वास्थ्य की मुख्यमंत्री को चिंता है। मंत्री भी प्रशासन भी पूजा से सीधे आमने सामने बैठे और विचारों का आदानप्रदान होने लगा।

सीएमओ हर दिन की जानकारी लेते रहे। पूजा छाबड़ा के स्वास्थ्य की पल पल की खबर बीकानेर से सीएमओ तक पहुंचे और सरकार के मुखिया की जानकारी में हो। प्रशासन जयपुर के संपर्क में रहते कार्यवाही सकारात्मक हो। यह सब हुआ। 

भाजपा के नेता मुख्यमंत्री तक सीधी बात के लिए तैयार नहीं हुए। विधायक रामप्रताप कासनिया, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू और पूर्व विधायक अशोक नागपाल कोई निर्णय ही नहीं कर पाए। जनता को मालुम तो हुआ इनकी पावर का। मुख्यमंत्री से सीधे मिल नहीं पाए। 


कांग्रेस नेता मील परिवार पूर्व विधायक गंगाजल मील,हनुमान मील,पंचायत समिति प्रधान हजारीराम मील और पंचायत समिति के डायरेक्टर हेतराम मील ने जिलों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने के लिए जयपुर नहीं गये। जयपुर जाकर बात करने तक की कोशिश ही नहीं की। क्या मुख्यमंत्री से पटरी नहींं बैठ रही है।  कुछ तो है जिसके कारण मील जयपुर नहीं गये।  सूरतगढ में ट्रेक्टर रैली निकालना मजबूरी रही है कि उनके बिना आंदोलन आवाज बन गया है और पूजा का नाम खतरा बन गया है तथा और मजबूत हो रहा है। पहले कहा गया कि 300 ट्रैक्टरों की रैली सूरतगढ से जयपुर ले जाएंगे। फिर यह संख्या 50 हुई और फिर कह दिया गया कि मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक नहीं है सो जयपुर जाना कैंसिल। जयपुर जाते तो आवाज तो सरकार तक पहुंच ही जाती। मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक होने के बाद यह रैली निकाल लेते लेकिन राजनीतिक दबाव बढने से घबराहट में मजबूरी में यह रैली निकाली गई। सूरतगढ विधानसभा क्षेत्र में अपनी शक्ति का प्रदर्शन जो दो तीन दिन बाद खत्म और फिर वही आवाज की मील मुख्यमंत्री से सीधे मिलने कब जाएंगे। मुख्यमंत्री से सीधे मिलने को टाल क्यों रहे हैं? जनता में यह सवाल उठ गया है और विस्तार ले रहा है। 

कांग्रेस की एक और ताकत डूंगर राम गेदर का भी हाल मील परिवार जैसा ही नहीं उससे भी कमतर रहा है। शिल्प व माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष राज्य मंत्री जैसी सुविधाएं और सूरतगढ को जिला बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से सीधे मिल नहीं सके। गेदर ने कहा मुख्यमंत्री जी से बात करूंगा लेकिन नहीं की। मुख्यमंत्री की कृपा से शिल्प एवं माटी कला बोर्ड का अध्यक्ष पद मिला है सो जिले की मांग करने से कतराने लगे। 

ऐसी है हमारे बड़े नेताओं की नेतगिरी। भाजपा और कांग्रेस के नेता। 

इसलिए जिला बनने का श्रेय पूजा छाबड़ा को मिलेगा। उसका कद मरणव्रत से जनता के मन में  स्थापित हो गया है और ऊंचा हो गया है। पूजा मरणव्रत पर थी और उसके लिए षड्यंत्र किए जा रहे थे। पूजा छाबड़ा अभी तक किसी राजनीतिक दल में नहीं है और अभी तक चुनाव लड़ने की घोषणा भी नहीं है। भविष्य का मालुम नहीं है।

लेकिन सरकार से बात करने मुख्यमंत्री से बात करने के लिए समय ने उसे जिंदा रखा है और जनता की दुआओं ने उसे जिंदा रखा है। 

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