पीले चावल देकर जनसभा में बुलाया,बीसियों आंदोलनकारियों को बोलने नहीं दिया:
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ 10 अप्रैल 2023.
सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान समिति के अध्यक्ष का तानाशाही रवैया आज 10 अप्रैल 2023 को जनसभा में प्रमाणित हुआ। जनसभा में अधिक से अधिक लोगों को पहुंचने का अधिक से अधिक लोगों को लाने का अभियान चलाया गया पूरे शहर में पीले चावल बांटे गए।
जो लोग कार्यकर्ता जी जान से इस अभियान में जुटे हुए थे उनको जानबूझकर मंच से जनसभा में बात रखने सुझाव देने का मौका नहीं दिया गया। यह तिरस्कार लोगों ने देखा। उन लोगों को बोलने भाषण देने से रोकने के लिए शर्मनाक रवैया अपनाया गया कि जनसभा को अध्यक्ष का कहते समाप्त कर दिया गया।
सूरतगढ जिला बनाओ अभियान के लिए जनसभा दो घंटे में खत्म की गई यह तीन चार घंटे चलने वाली थी। पीले चावल देके बुलावा और फिर आने वालों का तिरस्कार। लोग बोलने अपनी बात रखने को तैयार कि उनका नाम पुकारा जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिन्होंने नाम दिया उनको भी बोलने नहीं दिया। बड़े नेताओं अनुभवी आंदोलनों से जुड़े लोगों को बोलने से रोकना था इसलिए जनसभा को अधूरे रूप में खत्म किया।
* सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान समिति किसी एक व्यक्ति की जागीर नहीं है जो मन में आए वह नियम और कानून लागू करे।
मंच से कहा जा रहा था कि आगे की रणनीति किसी ने नहीं बताई। आगे की रणनीति बताएं सुझाव दें लेकिन सुझाव लेने ही नहीं थे।
जनसभा में 15- 20 प्रमुख लोगों को जो अनुभवी दिए हैं उनको बोलने तक नहीं दिया उनमें महिला कार्यकर्ता और नेता भी थीं।
यह जनसभा थी और सूरतगढ़ जिला बनाओ के लिए थी। यह सभा शाम तक चलती तब भी चलानी थी सभी को बोलने का कहा जाना चाहिए था। यह गलती नहीं है यह जानबूझकर किया गया कार्य है जो क्षमा के योग्य नहीं है।
* पहले बहुत बार गलतियों पर लिखा जा चुका है कि अध्यक्ष पद संभाल नहीं पाते सही निर्णय नहीं कर पाते तो यह पद छोड़ें ताकि जी जान से जुटे कार्यकर्ताओं का तिरस्कार न ह़ो।
जानबूझकर लोगों बोलने नहीं दिया गया। एक तरफ कहते हैं कि मिलकर के चलें। नारे लगाए जाते हैं कि हम एक हैं और दूसरी तरफ इतना जहर भरा हुआ है कि पूरे नियोजित तरीके से आज जनसभा में लोगों को बोलने नहीं दिया गया।
* जिन लोगों ने घर घर जाकर के पीले चावल दिए उनको भी बोलने का मौका नहीं दिया जो लोग काफी दिनों से इस अभियान से जुड़े हुए उन लोगों को भी बोलने का मौका नहीं दिया गया।
* रवैया सुधारा जाए। पिछले कई दिनों में भी अगर सुधार नहीं हो पाया है तो यही साबित होता है कि कोई बहुत सुनियोजित षड्यंत्र रच कर इस समिति का बैक डोर से संचालन कर रहा है और संचालन समिति के अध्यक्ष आदि को प्रभावित किए हुए है।
* बीकानेर में प्रशासन से मुख्यमंत्री से बात कराने की सहमति लिखित में हुई जिसे जनसभा में बताने के बजाय छुपाया गया। वह सहमति पत्र महत्वपूर्ण है जिसे बताने के लिए जनसभा में बताने के लिए अध्यक्ष से दो मिनट का समय मांगा गया था लेकिन बोलने का अवसर नहीं दिया गया। इस सहमति पत्र की पूरी रिपोर्ट आगे दी जाएगी। लेकिन यह बैकडोर संचालन बंद कर देने में इस आंदोलन में भलाई है।०0०