रविवार, 2 अक्तूबर 2022

👍 तुम गांधी तुम शास्त्री बन जाते * * करणीदानसिंह राजपूत *

 


तुम गांधी बन जाते।

तुम शास्त्री ही बन जाते।

तुम इन्सान ही रह जाते।

तुम्हारे ललाट पर दंभ की आभा।

तुम्हारे मन में किस का है वास।


लोकतंत्र रक्षकों के पत्र पढ लेते।

तुम इन्सान तो अवश्य रह जाते।

महामानव बन गये सब भूल गए।

अठारह घंटों में पांच पल दिए होते।

लोकतंत्र सेनानियों की आशा बन जाते।


लोकतंत्र सेनानियों का अर्पण तुच्छ।

क्यों नहीं मानते महान बलिदान।

लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान में।

कौन निकृष्ट है बीच में बाधा बना।

कौन इस स्वीकृति में अड़ा खड़ा।


लोकतंत्र रक्षकों के पत्र पढ लेते।

तुम इन्सान तो अवश्य रह जाते।

महामानव बन गये सब भूल गए।

अठारह घंटों में पांच पल दिए होते।

लोकतंत्र सेनानियों की आशा बन जाते।


तुम गांधी और शास्त्री बन जाते।

नयी आशा नयी किरण बन जाते।

संसार से विदा ले रहे सेनानी।

एक बार भी सेनानी को पूछ लेते।

तुम बुढापे की लाठी बन जाते।


तुम्हारे हाथ में नहीं होगी रेखा।

लोकतंत्र सेनानी सम्मान की रेखा।

यह यश करना तुम्हारे भाग्य में नहीं।

यह यश लेना तुम्हारे भाग्य में नहीं।

काश!सेनानियों के पत्र पढ लेते।

*

💐 गांधी जयंती. शास्त्री जयंती.💐

* 2 अक्टूबर 2022.*




करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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