बुधवार, 15 जून 2022

राजस्थान के यशस्वी पत्रकार. ले० सत्य पारीक वरिष्ठ पत्रकार (510 पत्रकारों का वर्णन)

 


 समीक्षक: करणीदानसिंह राजपूत *


इस पुस्तक में उन तमाम कलाकारों को लेकर लिखा गया है जो अपनी कलम से अंग्रेजों से लेकर राजनेताओं अधिकारियों समाज कंठ को तक को हिला चुके हैं कलमकार के पास कलम होती है ना तीर होता है न तलवार होती है


" राजस्थान के यशस्वी पत्रकार " सन् 2016 में जयपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री सत्य पारीक ने प्रकाशित की। इस पुस्तक में राजस्थान के 510 पत्रकारों का कर्म क्षेत्र का वर्णन है। पत्रकार किस समाचार पत्र,समाचार एजेंसी आदि से जुड़े रहे। 

इतने पत्रकारों की जानकारियां एकत्रित करने का कार्य किसी शोध से कम नहीं हो सकता।

मैं इसे पत्रकारों पर शोध करना ही मानता हूं।


लेखक ने पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम के कलम योद्धाओं को समर्पित की है। वर्तमान में ऐसे पत्रकार हैं तो सही लेकिन बहुत कम है।




पुस्तक में लेखक का कथन है जिसमें लिखने के लिए प्रसिद्ध पत्रकारों सर्व श्री विजय भंडारी, सीता राम झालानी,श्याम आचार्य ने मार्ग दर्शन करने का वर्णन है।

श्री विजय भंडारी ने इस पुस्तक को ऐतिहासिक बताया है। उनका यह वर्णन चार पृष्ठों में इसी पुस्तक में शामिल है। 

पुस्तक एक परिभाषा नाम का वर्णन सीता राम झालानी द्वारा लिखित भी इसी पुस्तक में शामिल है। झालानी ने लिखा है कि एक समय था जब वर्षों तक कलम घिसने के बाद पत्रकार संपादक बनता था,आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है, कलम घिसना तो दूर रहा, पकड़ना बाद में सीखता है और पत्रकार संपादक पहले बन जाता है। झालानी लिखते हैं कि पत्रकार कौन होते हैं किस प्रकार के व्यक्ति पत्रकार कहला सकते हैं।


*कौन है पत्रकार?

 हो सच का पैरोकार, पत्रकार वही है।

 बने नहीं पक्षकार पत्रकार वही है।

तलवे किसी समर्थ के सहलाये नहीं कलम से,

पैनी हो जिसकी धार पत्रकार वही है।

काजल की कोठरी से बेदाग लौट कर,

आये जो बार-बार पत्रकार वही है।

मर मिटने का जज्बा जगाए जिसकी लेखनी,

भ्रष्ट तंत्र पर करे प्रहार,पत्रकार वही है।

धनवान ही बनता है तो कारोबार बहुत है।

बिकना ही है,तो देश में खरीदार बहुत है।

किसी मजलूम की,

आवाज तो बन के दिखा,

कहने को इस देश में पत्रकार बहुत है।



Sunny Sebastian  का इंग्लिश में लिखा लेख 

The Annals of Rajasthan journalism भी पुस्तक की रोचकता बढाता है। 




राजस्थानी ग्रथांगार जोधपुर इसके प्रकाशक व वितरक हैं। 206 पृष्ठों की 350 रू. कीमत की यह पुस्तक बहुत अच्छी है। 

समीक्षक-



करणीदानसिंह राजपूत.

आयु 77 वर्ष.

(59 साल का पत्रकारिता का अनुभव)

स्वतंत्र पत्रकार,( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़  ( राजस्थान)

94143 81356.

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