^^विशेष समाचार करणीदानसिंह राजपूत ^^
10 अगस्त 2019.
राजस्थान सरकार के बजट 2019- 20 को प्रस्तुत करते समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ़ का नामकरण स्वर्गीय गुरुशरण छाबड़ा राजकीय महाविद्यालय करने की घोषणा की थी। शिक्षा मंत्रालय ने 7 अगस्त 2019 को यह आदेश जारी कर दिया है जो समस्त संबंधित विभागों को भिजवा दिया गया है।
यह राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ़ में राष्ट्रीय उच्च मार्ग नंबर 62 पर आकाशवाणी केंद्र के सामने स्थित है।
विदित रहे कि सूरतगढ़ के विधायक गुरु शरण छाबड़ा ने सूरतगढ़ में राजकीय महाविद्यालय खुलवाने को लेकर 1972 से आंदोलन शुरू किया और विधायक काल में 1977 में स्थापित करवा दिया था।
छाबड़ा ने राजस्थान प्रदेश में संपूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर जयपुर में अनशन करते हुए 3 नवंबर 2015 में प्राण त्याग दिए थे।
गुरूशरण छाबड़ा आपातकाल के बाद 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। उस समय भैरों सिंह शेखावत जिस दिन मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए उसी रात्रि में 11 बजे विधायक गुरुशरण छाबड़ा,राजा राम कड़वासरा मानकसर (अब स्वर्ग वासी) पत्रकार करणी दान सिंह राजपूत भैरों सिंह जी से मिले।
उनके समक्ष सूरतगढ़ में राजकीय महाविद्यालय खुलवाने की मांग रखते हुए बताया कि विधायक का चुनाव सूरतगढ़ में राजकीय महाविद्यालय खोले जाने की बात पर लड़ा गया है। जनता ने पूरा साथ दिया है इसलिए सूरतगढ़ में राजकीय महाविद्यालय खोला जाए।
माननीय भैरों सिंह जी शेखावत ने तत्काल ही कहा कि प्रदेश में जब भी राजकीय महाविद्यालय खोले जाएंगे तब सूरतगढ़ प्रथम रहेगा।
उसी घोषणा के तहत ही सूरतगढ़ में 1977 में राजकीय महाविद्यालय खोला गया। उस समय उच्च शिक्षा मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी थे,जिन्होंने भी पूरा सहयोग किया।
उस समय एक धर्मशाला भवन में कुछ महीने कक्षाएं लगाई गई और भवन निर्माण के लिए एक समिति का गठन सोहन लाल रांका की अध्यक्षता में हुआ। पहले भवन निजी रूप से बना कर सार्वजनिक निर्माण विभाग को सौंपा गया और बाद में उसका विस्तार सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा समय-समय पर किया जाता रहा।
इस राजकीय महाविद्यालय की नींव उस समय के लोकप्रिय गृहमंत्री प्रोफेसर केदारनाथ के कर कमलों से रखी गई थी। आज यह महाविद्यालय आसपास के हजारों छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। महाविद्यालय का नाम गुरु शरण छाबड़ा के नाम से किए जाने पर यह सदा के लिए एक महत्वपूर्ण यादगार रहेगा।
विदित रहे कि गुरु शरण छाबड़ा के स्वर्गवास के बाद उनकी पुत्र वधु पूजा छाबड़ा पत्नी गौरव छाबड़ा ने भी शराबबंदी को लेकर आमरण अनशन किया था। राजस्थान सरकार ने उनसे एक समझौता किया जिसमें राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ़ का नाम स्वर्गीय गुरु शरण छाबड़ा के नाम से किए जाने का निर्णय हुआ था।
1.यहां पर राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ़ का चित्र।