मंगलवार, 3 नवंबर 2015

गुरूशरण छाबड़ा हुए शहीद:शराबबंदी की मांग पर आमरण अनशन था:



जयपुर एसएमएस में ली भोर में अंतिम सांस:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़, 3 नवम्बर,2015.
पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर आमरण करते हुए शहीद हो गए। उनकी शहादत राजस्थान ही नहीं देश में स्मरण की जाती रहेगी। आज सुबह करीब 4-30 पर उन्होंने संसार से विदा ली। उन्होंने अबकी बार तीसरी बार आमरण अनशन शुरू किया था। 

गुरूशरण छाबड़ा ने कहा था कि उनके संसार त्यागने का शोक न मनाया जाए- करणीदानसिंह राजपूत
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सूरतगढ़ के पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा को पुलिस ने उठा चिकित्सालय में भर्ती कराया:
छाबड़ा शहीद समारक जयपुर पर शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर आमरण अनशन पर थे:
पुलिस ने वहले भी उठाकर चिकित्सालय में भर्ती कराया था मगर वहां से डिस्चार्ज करते ही वापस आमरण अनशन पर बैठ गए थे।
-छाबड़ा चिल्ला रहे थे कि सरकार मेरी सेहत बहाना कर रही है,मेरी सेहत ठीक है,सरकार को जनता की सेहत की चिंता नहीं है।
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़,21 अक्टूबर 2015.
सूरतगढ़ के पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा को आज भार पुलिस बल से शहीद समारक जयपुर से उठा कर पुलिस ने एसएमएस चिकित्सालय में भर्ती करा दिया। छाबड़ा ने राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर 2 अक्टूबर को शहीद समारक पर आमरण अनशन शुरू किया था। पुलिस ने घेराबंदी करके उठाया। छाबड़ा जोर जोर से चिल्ला रहे थे कि सरकार मेरी सेहत का बहाना बनाकर उठा रही है जबकि गरीबों की सेहत की सरकार को चिंता नहीं है। छाबड़ा कह रहे थे कि सरकार मीडिया से दूर करना चाहती है ताकि यह समाचार लोगों तक नहीं पहुंचे जो लगातार प्रसारित हो रहे हैं। छाबड़ा ने कहा कि मेरा अनशन जारी रहेगा। पुलिस द्वारा चिकित्सालय में ीारती कराए जाने के बाद भी छाबड़ा ने अनशन नहीं तोड़ा है। दाबड़ा का अनशन आज बीसवें दिन जारी है।
छाबड़ा ने जब 2 अकटूबर को अनशन शुरू किया था तब पुलिस ने 6 अक्टूबर को उठाकर चिकित्सालय में गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करा दिया जहां पर अनशन जारी था। इसके बाद सरकार के निर्देश पर पुलिस ने उनको ऐसे वार्ड में अपराधियों के साथ रखा जहां पर उनका ईलाज किया जाता है। सरकार डराना व झुकाना चाहती थी लेकिन जब कुछ भी नहीं कर पाई तब 15 अक्टूबर को चिकित्सकों से फिट की रिपोर्ट करवाई और चिकित्सालय से डिस्चार्ज करवा दिया। छाबड़ा चिकित्सालय से डिस्चार्ज किए जाने के बाद वापस शहीद स्मारक पहुंचे और अनशन पर बैठ गए। आज उनको फिर उठा कर चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
इसी बीच भाजपा और कांग्रेस के बीच छाबड़ा के आमरण अनशन को लेकर बयानबाजी भी हुई है। कांग्रेस ने छाबड़ा के आमरण अनशन पर ध्यान नहीं देने पर भाजपा सरकार को संवेदनहीन बताया वहीं भाजपा की ओर से छाबड़ा को कांग्रेस का मुखौटा करार दिया गया।
गुरूशरण छाबड़ा आरएसएस के कार्यकर्ता हैं। जनसंघ से राष्ट्रीय पार्टी के सदस्य रहे हैं।आपातकाल 1975 के विरोध में जेल गए और जेल में भी आमरण अनशन किया था। जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में सूरतगढ़ से विधायक चुने गए थे। उस समय जनता युवा संघ में जब वसुंधरा राजे उपाध्यक्ष थी तब छाबड़ा भी उपाध्यक्ष ही थे। छाबड़ा ने कांग्रेस राज में अनेक बार आँदोलन किए इसलिए उनको कांग्रेस का मुखौटा बताकर ध्यान नहीं दिया जाना गलत है।
छाबड़ा ने अपनी देह दान की घोषणा पूर्व में ही कर रखी है।
छाबड़ा ने पहले एक बयान में कहा था कि गुजरात में शराब बंद है और वहां शराब की आय के बिना सरकार चल सकती है तब राजस्थान में सरकार क्यों नहीं चल सकती।
विदित रहे कि अशोक गहलोत की सरकार के समय भी छाबड़ा ने आमरण अनशन किया था। छाबड़ा का आरोप है कि सरकार ने जो लिखित समझौता किया था उसका पालन क्यों नहीं कर रही है।
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