पुष्कर की पवित्र झील और दर्शनीय आरावली की पर्वत श्रंखलाएं |
पुष्कर तीर्थ के अंचल की विश्व विख्यात किशनगढ़ की राजपूत चित्रकला
किशनगढ़ के शासक की प्रेमिका बणी ठणी के नाम से प्रसिद्ध है यह चित्रशैली
शानदार किशनगढ़ चित्रशैली |
बनी ठणी के चित्र वाले बॉक्स |
शानदार किशनगढ़ चित्रशैली |
इस शैली की चित्रकारी की सामग्री को अपने भवनों की सुंदरता बढ़ाने के लिए विदेशी पर्यटक और भारतीय खूब खरीदते हैं।
राजस्थान के बाजारों में इस चित्र शैली की खरीद बिक्री सामान्य दिनों में भी चलती रहती है
विशेष लेख : करणीदानसिंह राजपूत
राजस्थान के अजमेर जिले में हजारों वर्षों से पूजनीय तीर्थराज पुष्कर के अंचल का किशनगढ़ सैंकड़ों वर्षों से राजपूत चित्र शैली से विख्यात है। यहां के शासक सांवतसिंह की एक प्रेमिका बणी ठणी का चित्र राजा के चित्रकार मोरध्वज ने बनाया था। वह चित्र राजा को पसंद आया। उसी बणी ठणी के नाम से यह चित्र शैली प्रसिद्ध हुई।
इस चित्र शैली की मांग देश ओर विदेश में बहुत है। वर्तमान युग में
जहां साज सज्जा के तरीकों में बहुत बदलाव आ गया है, लेकिन इस पुरातन शैली
के चित्रों से साज सज्जा करना बढ़ता जा रहा है। वर्षों से किशनगढ़ शैली
में चित्रकारी करने में सिद्धहस्त किशनगढ़ वासी जसवंतसिंह
ने बताया कि इस चित्रशैली की सज्जा आवासीय भवनों में व बड़े बड़े होटलों
में स्वागत कक्ष से शयन कक्ष तक की जाने का प्रचलन बढ़ रहा है। गैलरी में
और सामान्य घरों तक की बैठकों में इस शैली के चित्र सजाए जाते हैं। सरकारी
विश्राम गृहों सर्किट हाऊसों और पर्यटन विभाग के बंगलों व भवनों में इस
शैली के चित्रों से की गई साज सज्जा देखते ही बनती है।
इस शैली के चित्र कागज व सिल्क कपड़े पर की जाती है। लक्कड़ी पर
आलमारी, बैड, टेबल-चेयर, सजावट के कॉर्नर पर यह चित्र शैली खूब सुंदर लगती
है। संगमरमर पर इसका आकर्षण लाजवाब होता है। लोहे के सामान छोटे मोटे
बॉक्स, बैंगल बॉक्स,मटके आदि पर भी इसकी सजावट करने का प्रचलन है। कांच पर
भी यह चित्रकारी की जाती है। धार्मिक स्थलों में मंदिरों व धर्मशालाओं आदि
में भी इस चित्र शैली की फूल पत्तियां बनवाने का प्रचलन है।
जसवंतसिंह और उनके छोटे भ्राता विजेन्द्रसिंह किशनगढ़
शैली के चित्र बनाने में सिद्धहस्त हैं। उनसे जानकारी मिली कि किशनगढ़ में
चार सौ से अधिक लोग इस चित्र शैली में चित्र बना कर अपनी आजीविका चला रहे
हैं। इसके अलावा आसपास के कस्बों में भी इस शैली की चित्रकारी की जाती है।
जसवंतसिंह ने बताया कि पुष्कर मेले में हस्तकला उद्योग की प्रदर्शनी
लगती है जिसमें किशनगढ़ शैली की चित्रकारी के सामान की बिक्री बहुत होती
है। जसवंतसिंह स्वयं पुष्कर मेले में पुरस्कार प्राप्त है। जसवंतसिंह ने
बताया कि पुष्कर तीर्थ आने वाले श्रद्धालु और दर्शनार्थी आदि सामान्य
दिनों में भी खरीदारी करते हैं जिससे पूरे वर्ष इस चित्रकारी के सामान की
मांग रहती है। जसवंतसिंह ने बताया कि देश विदेश में पहुंचाने के लिए बड़े
व्यवसायी और कंपनियां हैं जिनके मालिक आदेश देकर मांग के अनुसार संबंधित
सामान पर चित्रकारी करवाते हैं। ये जानकारी भी मिली कि अनेक वस्तुएं ऐसी
होती हैं जिन्हें लाया ले जाया नहीं जा सकता, उन पर चित्रकारी उस स्थान पर
पहुंच कर ही की जाती है। किशनगढ़ चित्र शैली का व्यवसाय पुष्कर व अजमेर के
अलावा जयपुर, उदयपुर,जोधपुर,कोटा में खूब फलफूल रहा है। विदेशों में बढ़
रही मांग के कारण निर्यात का व्यवसाय भी काफी बढ़ा है।
किशनगढ़ शैली की चित्रकारी में सिद्धहस्त जसवंतसिंह से मोबाइल नं 98299
44359 पर तथा चित्रकार छोटे भ्राता विजेन्द्रसिंह से मोबाइल नं 77422
24021 पर संपर्क किया जा सकता है। इन भ्राताओं से चित्रकारी करवाने, देखने
और जानकारी लेने के लिए संपर्क किया जा सकता है।
किशनगढ़ चित्र शैली चित्रकारी करवाने, देखने और जानकारी लेने के लिए संपर्क करें
श्री भटियानी आर्ट्स
मालियों का मोहल्ला,गुमानसिंह गेट के पास,
नया शहर,
किशनगढ़।
जिला अजमेर। मोबा. 98299 44359, 77422 24021
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लेखन 16 अक्टूबर 2016.
अपडेट 29 अगस्त 2019.
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