बुधवार, 2 अक्तूबर 2019

नेताओं की शह पर गांधी के देश में भ्रष्टाचार दुराचार बढा


* सत्य अहिंसा दिखावे के केवल कागजी बना दिये गए *

०० करणीदानसिंह राजपूत ००

भारत देश में संपूर्ण काम काज गांधी के नाम पर चलाया जा रहा है,मगर स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद हालात कह रहे हैं कि गांधी के देश में गांधी के सत्य और अहिंसा को भ्रष्टराज ने मार डाला है। गांधी के सत्य और अहिंसा अब केवल कागजी और दिखावे के रह गए हैं। राज चलाने वालों ने सत्य और अहिंसा का रूप बदल दिया है तथा अपनी मर्जी की परिभाषाएं बना दी हैं। आज ऐसा कोई भी प्रदेश नहीं है जहां पर किसी न किसी जगह कोई दंगा फसाद ना होता हो तथा पुलिस वाले किसी की जान ना ले रहे हों।    राज चलाने वालों को चरित्रवान मान कर देश की बागडोर दी गई लेकिन कितने बदल गए हैं अधिकांश राजनेता। केवल भ्रष्टाचार में करोड़ों रूपए जीमने और करोड़ों रूपए की कीमती जमीने और कृषिफार्म शापिंग काम्प्लेक्स ही उजागर नहीं हो रहे, बल्कि आए दिन कोई न कोई राजनेता या उनके परिवार का सदस्य बलात्कार यौन शोषण के अपराधिक कृत्य में फंसा हुआ सामने आ रहा है। भ्रष्ट राजनेताओं और उनके लोगों ने चरित्र की परिभाषा को तार तार करके रख दिया है। जब पकड़े जाते हैं तब कहते हुए दिखते हैं कि उनकी प्राइवेट जिंदगी को देखा ना जाए। मतलब की सफेद वस्त्रों में राज करने वालों के प्राईवेट बदनाम रूप को ना देखा जाए। शर्मनाक तो यह भी हो रहा है कि इस प्रकार के मामलों में पकड़े गए पति को बचाने के लिए पत्नी सार्वजनिक रूप से चैनलों पर कहे कि पति की प्राइवेट जिंदगी पर उसको कोई एतराज नही है। बेटी बाप के पक्ष में राजनीति करने लगे और बाप को भला कहते हुए जनता से समाज से सहयोग मांगे। संबंधित जाति के लोग उसको बचाने के लिए सम्मेलन भी करने लगें।
    गरीबों के काम ना हों और काम करने के लिए इज्जत मांग ली जाए। कितने ही मामले सार्वजनिक हो चुके हैं। पुलिस को माना जाता है कि वह जनता की अपराधों से रक्षा करेगी, लेकिन जब इस प्रकार के प्रकरण थानों में भी होने लगें व उनकी जांच में वर्षों बीत जाऐं। राजस्थान के एक मामले को लें जिसमें जोधपुर में एक विदेशी महिला की इज्जत से खिलवाड़ हुआ था। उसमें एक पखवाड़े में ही जांच हो गई व अभियुक्त का चालान तक हो गया, लेकिन देश की नारी के साथ बलात्कार व यौन शोषण के मामलों में इतनी तत्परता नहीं दिखाई जा रही। मतलब की देश व विदेश की महिला की इज्जत की परिभाषा और मापदंड अलग अलग।
राज करने वालों की यहां तक धौंस रहती है कि भ्रष्ट और अपराधिक राजनेताओं को दंडित करने व हटाने के बजाए उसको किसी न किसी पद पर बनाए रखने की चालें चली जाती है।
देश आज न अंदर सुरक्षित है न सीमाओं पर। यही हाल देश के लोगों का है। लेकिन राज करने वालों ने देश की राजधानी दिल्ली को सुरक्षा देकर मान लिया कि पूरा देश सुरक्षित हो गया तथा राजनीतिज्ञों को व उनके परिवारों को सुरक्षा देकर मान लिया गया कि देश का हर नागरिक सुरक्षित हो गया है। देश में रोजगार देने के मामलों में भी यही नीति अपनाई जाने लगी है। देश में अन्नाज नष्ट हो रहा है, मगर गरीबों को सस्ते दर पर देने में आनाकानी हो रही है। बीपीएल परिवारों के परिवार कार्ड बनाने तक में इतने नियम और कानून बना दिए गए हैं कि अधिकांश परिवार वंचित रह जाऐंगे। एक तरफ तो बीपीएल कार्ड के लिए भरा जाने वाला प्रपत्र उलझे हुए प्रश्रों से भर दिया गया है और दूसरी ओर सरकार उनको मोबाईल उपहार में देने की योजना बना रही है। खाने को रोटी ना सही, बातें तो करो। वे भी मुफ्त में करो।
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करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
मोबा. 94143 81356
दिनांक- 12 अगस्त 2012.
अपडेट 2 अक्टूबर 2019. गांधी जयंती.
( कुछ भी नहीं बदला, उलटा भ्रष्टाचार दुराचार बढ गया)
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