शनिवार, 7 सितंबर 2019

तुम्हारी एक झलक ही लुभा गई- कविता-करणीदानसिंह राजपूत.


तुम्हारी एक झलक ही लुभा गई,
फिर से आओ,उस रूप में तुम।


लाल टी शर्ट अच्छा फबता है,
गुलाबी भी तुम पर जचता है,
हरे की हरियाली भाती है।
तुम्हारे गौर वर्ण पर ।
निखर जाते हैं हर रंग
तुम टीशर्ट में स्टुडेंट लगती
दिल में चली आती हो।


काला टीशर्ट नहीं लगता
बदन पर अच्छा,
गौरे रंग पर काला तिल
नजर लगने से बचाता है।
ठोड़ी गाल गर्दन पर
कहीं बनाती रहो तिल।


तुम अभिनय करो
तुम गीत गाओ
तुम नृत्य में लुभावो
मुझे हर रूप सुहाना लगता है
आओ, देरी न करो
दिल में समाओ।


झुलसाती गर्मी में
पसीना पोंछती और
सर्दी की शीत लहर में
टोपी लगाई तुम सुंदर
दिख ही जाती हो।


ऊंची छत पर तुम
चहलकदमी करती
चांदनी में जब
नजर आती हो
सुंदर बहुत सुंदर।


तुम्हारी एक झलक ही लुभा गई,
फिर से आओ,उस रूप में तुम।


*****

करणीदानसिंह राजपूत,
विजयश्री करणीभवन, सूर्यवंशी स्कूल के पास,मिनी मार्केट, सूर्योदय नगरी।
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
9414381356.
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