सोमवार, 11 जुलाई 2016

मंत्री से हटा अधमरा कर,कान में फूंक देते हैं कि क्या बोलना है:


मार खाया हुआ बोलता है - मैं पार्टी का सच्चा सेवक सिपाही हूं:
कमाल की होती है राजनीति चाहे पार्टी कोई भी हो:
- करणीदानसिंह राजपूत -
तिरंगे झंडे हाथ के पंजे वाली कांग्रेस हो चाहे दुरंगे झंडे कमल वालीकमल भाजपा हो या कोई अन्य पार्टी हो। नेता व कार्यकर्ता मारना होता है तब सभी के एक ही प्रकार की नीति होती है। मानो सभी ने एक दूसरे का संविधान पढ़ कर इस प्रकार के मामलों में एक ही नीति बनाई हो। पाटी्र नेता गजब की मार से अधमरा कर छोड़ते हैं और इस हालत में पहुंचाने से पहले किसी खास से कान में फूंक भी मरवा देते हैं कि आगे क्या क्या बोलना है और मीडिया के आगे क्या बोलना है।


पद से हटाया मार खाया हुआ बोलता है - मैं पार्टी का सच्चा सेवक सिपाही हूं। पार्टी जब कहेगी जब हुक्म देगी, कुर्बानी का कहेगी तब कुर्बानी को तैयार रहूंगा। पार्टी के लिए मर मिटुंगा। अरे अभी तक मालूम नहीं पड़ा,कुर्बानी देने को पार्टी नहीं कहती, पार्टी तो झटके से कुर्बानी ले लेती है। कितने ही सच्चे सेवक अपनी सोच से कुर्बान हो गए। पार्टी का झंडा उठाए गुणगान करते रहना। नहीं तो अपने आप खत्म हो जाएगा। पार्टी का झंउा होगा तो सालों तक जीवित तो रहेगा। पड़ा रहेगा किसी हासिये पर डाला हुआ नहीं तो जल्दी मर जाएगा।
बस यह फूंक इतनी असरदार होती है कि पदच्युत नेता पूरी तरह से मान लेता है। एक खास बात होती है। देश में जीतने पर मंत्री बनाने पर तो स्वागत अभिनन्दन होते ही हैं, लेकिन पदच्युत किए जाने पर भी स्वागत किया जाता है कि एकदम से मरने भी नहीं देंगे।
वैसे भी पदच्युत होने वाला ऐसा तो कह भी नहीं सकता कि नालायकी व निकम्मेपन के कारण हटाया गया है। पदच्युत होने वाला कहता है कि जो कार्य सौंपा गया उसे पूरा किया। पार्टी के बड़े नेता खुश थे। पीएम सीएम खुश थे। अरे भाई जब सभी कार्य किए और सभी खुश भी थे तब हटाया क्यों गया?
यह मालूम तो हाता है मगर यह बोलना खांडे की धार होता है। चुप रहना और पार्टी का व नेता का गुणगान करने में अपना भला अपने परिवार का भला।


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