शुक्रवार, 17 जून 2016

सूरतगढ़ नगरपालिका रिश्वत कांड: भाजपा नगरमंडल सवालों के घेर में:


नगरमंडल अध्यक्ष पदाधिकारी व सदस्य पूरी तरह से जिम्मेदार:
विकास के नाम पर पनपाए भ्रष्टाचार से सूरतगढ़ लूटा जाता रहा: नगरपालिका पर आरोप लगते रहे। सभी अनदेखी अनसुनी करते रहे।
ऐसे लापरवाह नगरमंडल की जरूरत क्या है? भाजपा की छवि को और कितनी धूमिल करवाई जाएगी?
- करणीदानसिंंह राजपूत -
सूरतगढ़। नगरपालिका में भाजपा को बोर्ड बनाने का श्रेय संगठन व नेताओं ने लिया था और अब पालिकाध्यक्ष के जेठ पालिका में लिपिक राजकुमार छाबड़ा के एक कार्य के लिए 80 हजार रूपए की रिश्वत में गिरफ्तार हो जाने पर भाजपा नगरमंडल पूरी तरह से जिम्मेदार है जो लगातार लगते रहे आरोपों के बावजूद चुप रहा। किसी एक दिन भी मंडल अध्यक्ष महेशकुमार सेखसरिया ने अपनी जुबान नहीं खोली और पूरे मंडल ने कभी नगर में भ्रमण करके नहीं देखा कि शहर क्या हाल बना कर रख दिया गया है? जब भाजपा बोर्ड बनाने का श्रेय नेता लेते हैं तब पालिका में रोज रोज हो रहे भ्रष्टाचार का दोष भी इन पर थोपा जाना चाहिए। मंडल से जवाब तलब किया जाना चाहिए और भंग कर दिया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार का इतना बड़ा सबूत पकड़ में आ गया कि पालिकाध्यक्ष का जेठ पकड़ा गया। भाजपा नेताओं को इससे अधिक और कौनसे सबूत की जरूरत है? नैतिकता का ढिंढोरा पीटते रहने वालों को तो अपने आप ही पद छोड़ देने चाहिए या अभी तक उनको अपने निक्कमेपन का मालम नहीं पड़ा है? या अभी नाक और कटवानी है। कुछ दिन पूर्व जब श्रीगंगानगर में पार्टी की जिला उपाध्यक्ष व पार्षद महिला रिश्वत में पकड़ी गई थी तब मेंने लेख लिखा था कि जिले में नाक कट गई और अब सूरतगढ़ व अनूपगढ़ में कटनी बाकी है। उस लेख में भी नगरमंडल पर सवाल थे कि मिट्टी के माधो अध्यक्ष बिठाए हुए हैं। लो अब सूरतगढ़ में भी नाक कट गई। यक और संगठन है आरएसएस जिसे माना जाता है कि वह भाजपा के नेताओं व जन प्रतिनिधियों पर निगाह रखता है। सूरतगढ़ में जब जब भ्रष्टाचार के समाचार छपे उसने भाजपा संगठन की लापरवाही दूर नहीं की। उसने भी शहर में चल रही लूट पर कभी मौके पर जाकर नहीं देखा।
सूरतगढ़ में जो भ्रष्टाचार का प्रमाण मिला है। वह किसी भी रूप में कम करके नहीं आंका जा सकता। भाजपा नैतिकता के नाम पर इस्तीफे मांगती रही है और अब भी मांगती रहती है जहां पर अन्य सरकारें हैं। उसी नैतिकता के नाम पर मंडल खुद चलता बने तो क्या हर्ज है? देखते हैं कि नगरमंडल अध्यक्ष खुद चला कर कब इस्तीफा देता है? भाजपा संगठन भी कब नगरपालिका अध्यक्ष काजल छाबड़ा से पद छोडऩे का कहता है।



सूरतगढ़ में नगरपालिका जो कुछ करती रही उसमें नगर मंडल पूरी तरह से जिम्मेदार है। नगरमंडल में कौन कौन नेता व कार्यकर्ता हैं। 
उनके नाम भी जान लिए जाने चाहिए। यह सूची वह है जो मंडल अध्यक्ष महेश सेखसरिया ने अपने अध्यक्ष बनने के बाद जारी की थी और अनेक पुराने भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ठुकरा दिया था। ये पदाधिकारी व सदस्य स्वयं ही अपनी समीक्षा करलें कि मंडल कार्यकारिणी में आने के बाद से उन्होंने क्या किया? नगर में भाजपा की आज क्या हालत है?
भाजपा नगर मंडल के अध्यक्ष महेश कुमार सेखसरिया ने अपनी लंबी चौड़ी कार्यकारिणी घोषित की जिसमें अनेक दिग्गज नेताओं की छुट्टी हो गई। कार्यकर्ताओं ने उस समय भी सेखसरिया की कार्यकारिणी को मजबूत नहीं बताया था।
सेखसरिया ने घोषणा में कहा कि जिलाध्यक्ष महेन्द्रसिंह सोढ़ी,प्रदेशमंत्री कैलाश मेघवाल,और विधायक राजेन्द्रसिंह भादू का अनुमोदन है।
कार्यकारिणी में पदाधिकारी निम्र लिए गए हैं।
विशेष आमंत्रित - विधायक राजेन्द्रसिंह भादू,पूर्व राज्यमंत्री रामप्रताप कासनिया,नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा,प्रयागचंद अग्रवाल,एडवोकेट भागीरथ कड़वासरा,एडवोकेट एन.डी.सेतिया।
उपाध्यक्ष - श्रीमती शांति मेघवाल,ओमप्रकाश सोमानी,पृथ्वी स्वामी,आत्माराम तेहरपुरिया,श्रीमती पूनम सोलंकी व पवन तावणियां।
महामंत्री - सुभाष चन्द्र गुप्ता।
कोषाध्यक्ष - रमेश आसवानी।
मंत्री - विकास दीप गाबा,प्रियंका ओड,गोपी राम दगल,राजेश भादू,सुरेश सुथार,प्रवीण नाजरा।
सदस्य - सभी वार्डों को प्रतिनिधित्व देते हुए वहां से सदस्य लिए गए हैं।
भरत पुरोहित,सुभाष सोनी,जगदीश स्वामी,राजगिरी गोस्वामी,बलराम कड़वासरा,तुलसीराम शर्मा, बाबूसिंंह खीची, महेन्द्र गोदारा,अशोक भट्ट,बजरंगसिंह पंवार,महावीर जाखड़, महावीर जंवरिया,भूषण भटेजा,महेन्द्र स्वामी,कुलदीप बिश्रोई,विनयसिंह चंदेल,राजकुमार सेन,विकास औझा,लीलाधर शर्मा,मनीराम नायक, जुगल किशोर तरड़,गुरजंटसिंह,राकेश कुमार,फरीद खां,निजाम खां,कश्मीरसिंह,हरबंश डोडा,अश्विनी स्वामी,पवन मोट,धर्मेन्द्र सोलंकी,कृष्ण छींपा,अशोक भार्गव,राजेश बिश्रोई,पवन चौधरी,गीता औझा,ममता पासवान,अंजु,कमला, गायत्री देवी,माहिनी शर्मा,रजनी भाटिया,सरला मलेठिया,वीना मिड्ढा,मामचन्द्र शर्मा।

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