मंगलवार, 3 नवंबर 2015

गुरूशरण छाबड़ा ने आपातकाल बंदियों का लोकतंत्र रक्षा सेनानी संगठन भी बनाया था:


राजस्थान प्रदेश संयोजक प्रभात रांका हैं:
खास खबर- करणीदानसिंह राजपूत
शराबबंदी की मांग को लेकर शहीद हुए छाबड़ा ने आपातकाल में बंदी रहे लोगों के लिए अखिल भारतीय स्तर पर एक लोकतंत्र रक्षा सेनानी संगठन भी बनाया था।
इकतालीस साल पहले आपातकाल सन 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन काल में आपातकाल लगा कर हजारों लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया था। उस समय के शासन के विरोध में अनेक लोग प्रदर्शन सभाओं में आंदोलन को उतरे और वे भी जेलों में डाल दिए गय थे।
कुछ प्रदेशों में मीसा व राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में बंदी बनाए गए लोगों को पेंशन देनी शुरू कर दी। जिसमें राजस्थान भी शामिल है।
इसके अलावा हजारों लोग शांतिभंग कानून में गिरफ्तार किए गए थे। ऐसे लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को पेंशन दिए जाने पर विचार भी चल रहा है मगर उसकी गति धीमी है। शांति भंग में गिरफ्तार किए लोगों की उम्र भी आज के समय में साठ से ऊपर तक पहुंच गई है तथा कई लोग तो अनेक परेशानियों में बीमारियों में वृद्धावस्था जीवन जी रहे हैं।
शांतिभंग कानून में बंदी बनाए गए लोगों को पेंशन सुविधा मिलने  की सोच के साथ कुछ सालों से कार्य तो किया जा रहा था मगर उसकी गति धीमी रही थी।
पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा ने इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर कई महीनों से कार्य शुरू कर संपर्क किया और संगठन खड़ा किया। अभी संगठन शुरूआती स्थिति में आगे बढ़ रहा था छाबड़ा जी संसार छोड़ गए। अखिल भारतीय स्तर पर इस नए संगठन का नाम आपातकाल लोकतंत्र रक्षा सेनानी संगठन रखा गया है।

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