शनिवार, 1 अगस्त 2015

आदर्श कल्याण भूमि में सैनी नाम घुसेडऩे पर चल रहा है विवाद:


नगरपालिका ने निर्माण ठेके में घुसेड़ा सैनी नाम।

- करणीदानसिंह राजपूत -
विधायक के कोटे से आदर्श कल्याण भूमि सूरतगढ़ में निर्माण के लिए रूपया दिया गया लेकिन उसमें सैनी नाम घुसेड़ दिए जाने से लोग नाराज हैं और विवाद चल रहा है। इसके बाबत बैठकें हुई हैं मगर अभी तक सुलटारा नहीं हो पाया है। आदर्श कल्याण भूमि की स्थापना से लेकर अब तक उसकी व्यवस्था अरोड़ वंश समुदाय ही करता आ रहा है। वैसे कोई भी जाति का मृतक हो उसकी अंतिम क्रिया में कभी रूकावट नहीं आई। इसके इतिहास को जानना जरूरी है।
देश के विभाजन के वक्त अरोड़ा समुदाय बहुतायत से पाकिस्तान से उजड़ कर पहले पंजाब में आए व बाद में सूरतगढ़ में आकर रहने लगे। इनकी बसावट जहां हुई वहां लोग पहले रिफ्यूजी शरणार्थी कहते थे। तथा कॉलोनी को रिफ्यूजी कॉलोनी कहते थे। पुरूषार्थी लोगों को जो कड़ी मेहनत कर जीवनयापन कर रहे थे,उनको रिफ्यूजी शब्द स्वीकार नहीं हो रहा था। यह सच्च भी था। इसलिए कॉलोनी को आदर्श कॉलोनी नाम दिया गया। उसी तर्ज पर जो श्मशान उसके पास बना उसे आदर्श कल्याण भूमि नाम दिया गया। अरोड़वंश कल्याण समिति ही इसकी देख रेख करती रही है। किसी को कोई अड़चन भी नहीं रही है।
लेकिन अब अड़चन शुरू हुई है। विधायक राजेन्द्रसिंह भादू ने इसमें शैड निर्माण व सोलिंग कराने के लिए अपने विधायक कोटे से 11 लाख रूपए दिए। नगरपालिका की अध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा व अधिशाषी अधिकारी तरसेम कुमार के हस्ताक्षरों से इसकी निविदा जारी हुई जो 30 अप्रेल को जारी हुई तथा 1 मई 2015 के अखबारों में छपी। इस निविदा में आदर्श सैनी कल्याण भूमि लिखा गया। इससे विवाद उत्पन्न हो गया व जागरूक लोगों ने यह प्रकरण उठाया। लोगों को आश्चर्य यह है कि श्रीमती काजल छाबड़ा और उनके पति सुनील छाबड़ा दोनों ही इसी अरोड़वंश समुदाय के हैं तथा उनको इस कल्याण भूमि की हर बात का मालूम है फिर इसमें सैनी नाम क्यों और कैसे जोड़ दिया गया? इसमें जो निर्माण चल रहा है उसका भुगतान आदि कैसे हो पाएगा। वर्तमान में जब इसमें निर्माण चल रहा है तब अधिशाषी अधिकारी पद पर प्रियंका बुडानिया आ चुकी है।

यह ब्लॉग खोजें