शनिवार, 17 अक्तूबर 2015

सूरतगढ़ से सच्च में कितने आरएएस चयन हुए? झूठ की संख्या चलाई गई:


- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़, 24 जुलाई 2015.
राजस्थान प्रशासनिक व अधिनस्थ सेवाओं की परीक्षा 2012 के मुख्य परिणाम में सूरतगढ़ से प्रशिक्षण ले रहे तीस से अधिक अभ्यर्थियों के चयन होने का खूब प्रचार हुआ और अखबारों में खूब रंग चढ़ाया गया। राजस्थान में ही नहीं यह प्रचार राजस्थान से बाहर तक गया और मीडिया कर्मियों ने स्पेशल रिपोर्ट तक छापी और कोचिंग वालों के साक्षात्कार तक छाप डाले।
मीडिया वालों ने ही नहीं संस्थाओं के संचालकों तक ने केवल राजस्थान प्रशासनिक सेवा शब्द का ही इस्तेमाल किया व अधिनस्थ शब्द ही गोल कर दिया।
अखबारों में वे नाम भी दे दिए गए जो पिछले कुछ सालों से सूरतगढ़ से सैंकड़ों किलो मीटर दूर सरकारी सेवाओं में लगे हुए हैं तथा उन्होंने वहीं से ही अपना पूर्व का रैंक सुधारने के लिए परीक्षा में भाग लिया। सूरतगढ़ से बाहर सरकारी सेवाओं में लगे अधिकारी व कर्मचारी सूरतगढ़ में कोचिंग लेने नहीं आए लेकिन उनके चयन को भी सूरतगढ़ का बता कर वाह वाही लूटी गई और यह झूठ तीन चार दिन तक खूब चला। सरकारी सेवाओं में सैंकड़ों किलोमीटर दूरी पर कार्य कर रहे और रेग्यूलर ड्यूटी देने वालों के नाम भी सूरतगढ़ से चयन में छापे गए। वे
लोग सूरतगढ़ में कोचिंग लेने आते तो सरकार से अवकाश लेना पड़ता और ऐसा नहीं हुआ। लेकिन उनका नाम आरएएस चयन में छपवा दिया गया। मीडिया वालों को कोचिंग संस्थाओं के संचालकों ने ही बताया और यह झूठ बताया। मीडिया को नाम तो संचालकों ने ही दिए। यह होशियारी रखी गई कि संस्थाओं ने अपने लेटर हेड पर कोई सूची नहीं दी। जबानी बताई। दूरस्थ स्थानों पर सरकारी सेवाओं में लगे हुए लोगों ने पहले कभी सूरतगढ़ से कोचिंग ली थी। हालांकि बाद में वे नए स्थानों पर अन्य कोचिंग संस्थाओं से जुड़ गए। एक बार कोचिंग सूरतगढ़ से ले ली इसलिए नाम जोड़ दिए। कौन देखता है? किसको मालूम पड़ता है? मीडिया वाले बेली हो तो बस छपवाए चलो।
दूर दराज के चयन हुए सरकारी अधिकारियों को कर्मचारियों को भी यह मालूम पड़ा। उनकी तरफ से भी कुछ हुआ। वे किसी भी विवाद में क्यों पड़ेंï? तब आगे ये नाम प्रचारित करना बंद हुए।
अब सच्च में कितने आरएएस सूरतगढ़ से चयन हुए? कोई जारी करे अपनी असली सूची तो मालूम पड़े। किसने कब कोचिंग ली और कितने समय कब से कब तक ली। तब सच्च सामने आ पाएगा।
सूरतगढ़ में कई संस्थाएं आरएएस की तैयारी करवाने में लगी थी व कई व्याख्याता अपने स्तर पर लगे हुए थे। प्रत्येक संस्था अपनी अपनी आरएएस की चयन सूची जारी कर दे तो सभी की प्रगति का ब्यौरा आ सकेगा और सही तस्वीर और सभी संस्थाओं व व्यक्तियों के नाम उपलब्ध हो जाऐंगे।
एक सच्च और कि कोचिंग वालों ने अपना ढ़ोल पीटा लेकिन सूरतगढ़ के उन लोगों का नाम कहीं नहीं लिया दिया जो बिना उनकी कोचिंग के चयन हुए थे। सूरतगढ़ की बड़ाई करनी थी तब उनका नाम भी संख्या में जुडऩा चाहिए था। उनका नाम बाद में एक एक कर सोशल मीडिया से सामने आने लगे तब कुछ अखबारो में नाम आए। 

कोचिंग संस्थाएं लैटर हेड पर आरएएस की विज्ञप्ति जारी क्यों नहीं करती?

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